सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को नौ मर्इ को छह महीने के कारावास की सजा सुनार्इ थी। साथ ही पुलिस को उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि इसके बाद जस्टिस कर्णन फरार हो गए थे। इसी बीच 12 जून को वे सेवानिवृत्त भी हो गए थे।
प्रधान न्यायाधीश जेएस केहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने जस्टिस कर्णन को अवमानना का दोषी माना था। इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस का एक दल उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चेन्नर्इ भी गया था। हालांकि उस वक्त पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने में सफलता नहीं मिली थी।
गौरतलब है कि जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी को प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने 20 जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आैर मद्रास हार्इकोर्ट के जज शामिल थे। साथ ही जस्टिस कर्णन ने पीएम से इस मामले की निष्पक्ष जांच की भी मांग की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को जस्टिस कर्णन को नोटिस जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि क्यों ने इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। कोर्ट ने 13 फरवरी को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वो हाजिर नहीं हुए।