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केंद्रीय मंत्री आर के सिंह का बड़ा बयान, सिर काटने वाले आतंकियों के खिलाफ बनेगा UAPA की तरह सख्त कानून!

राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस जघन्य हत्याकांड के बाद केंद्रीय मंत्री आर के सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने सिर काटने वाले ऐसे आतंकियों के खिलाफ देश में UAPA जैसा सख्त कानून की जरूरत पर जोर दिया।

नई दिल्लीJul 01, 2022 / 11:44 am

धीरज शर्मा

Kanhaiya Lal Case Strict Law Such UAPA Needed For Take Action Against Terrorists and Other RK Singh

Kanhaiya Lal Case Strict Law Such UAPA Needed For Take Action Against Terrorists and Other RK Singh

राजस्थान के उदयपुर में हुई टेलर कन्हैया लाल की हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कन्हैया लाल की हत्या को भी आतंकवाद से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। यही वजह है कि इन हत्यारों को आतंकवादी माना जा रहा है। खास बात यह है कि इस हत्याकांड के बाद केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने इन सिर काटने वाले आतंकियों से निपटने के लिए UAPA जैसे सख्त कानून बनाए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA ) जैसे विशेष कानून ‘आवश्यक’ हैं, ताकि आतंकवादियों और ‘दूसरों का सिर काटने वालों’ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूएपीए जैसे कानून होने चाहिए और कुछ लोगों को हिरासत में लिया जाना चाहिए, ताकि ‘दूसरों के जीवन की रक्षा’ की जा सके।

पूर्व केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि कभी-कभी आम लोगों यहां तक कि उन पुलिसकर्मियों तक को ढूंढना मुश्किल होता है जो उनके खिलाफ सबूत दे सकते हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा के डर से कुछ भी कहने से डरते हैं।

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ऐसे में अपराध नियंत्रण अधिनियम और यूएपीए जैसे विशेष कानूनों का होना जरूरी है। ताकि हम आतंकवादियों और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें जो दूसरों का सिर कलम करते हैं।

क्या है UAPA एक्ट?
UAPA यानी Unlawful Activities (Prevention) Act गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम। इस कानून का मकसद आतंकी गतिविधियों को रोकना है। इसके तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या संदिग्ध लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, आतंकी गतिविधि के लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।

इन मामलों में NIA यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पास ज्यादा शक्तियां होती हैं। NIA महानिदेशक को अधिकार होता है कि जांच के दौरान वह संदिग्ध या आरोपी की संपत्ति भी कुर्की-जब्ती करवा सकते हैं।

यूएपीए कानून वर्ष 1967 में लाया गया। तब इसे संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था। 2019 में इस कानून में संशोधन कर इसे दोबारा लागू किया गया।
कानून की धाराओं में कठोर प्रावधान
– UAPA कानून पूरे देश में लागू है
– कोई भी व्यक्तिगत या सामूहिक गैरकानूनी गतिविधि, जिससे देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को खतरा हो, इस कानून के दायरे में है।
– इस कानून के तहत केस में एंटीसिपेटरी बेल यानी अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती
– किसी भारतीय या विदेशी के खिलाफ भी इस कानून के तहत केस चलाया जा सकता है
– भारत में रजिस्टर जहाज या विमान में हुए अपराध के मामलों में भी यह कानून लागू होता है।
– मुख्य तौर पर यह कानून आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए है।
– यह कानून NIA को अधिकार देता है कि वो किसी तरह की आतंकी गतिविधि में शामिल संदिग्ध को आतंकी घोषित कर सके
– इससे पहले सिर्फ समूहों को ही आतंकवादी घोषित किया जा सकता था, लेकिन 2019 में संशोधन के बाद किसी व्यक्ति को भी संदिग्ध आतंकी घोषित किया जा सकता है।

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