पूर्व केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि कभी-कभी आम लोगों यहां तक कि उन पुलिसकर्मियों तक को ढूंढना मुश्किल होता है जो उनके खिलाफ सबूत दे सकते हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा के डर से कुछ भी कहने से डरते हैं।
यह भी पढ़ें – कन्हैया लाल के हत्यारों का सिर कलम करने पर 2 लाख का इनाम घोषित करने वाला हिंदू संगठन खुद फंसा
ऐसे में अपराध नियंत्रण अधिनियम और यूएपीए जैसे विशेष कानूनों का होना जरूरी है। ताकि हम आतंकवादियों और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें जो दूसरों का सिर कलम करते हैं। क्या है UAPA एक्ट?
UAPA यानी Unlawful Activities (Prevention) Act गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम। इस कानून का मकसद आतंकी गतिविधियों को रोकना है। इसके तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या संदिग्ध लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, आतंकी गतिविधि के लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
यूएपीए कानून वर्ष 1967 में लाया गया। तब इसे संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था। 2019 में इस कानून में संशोधन कर इसे दोबारा लागू किया गया।
– UAPA कानून पूरे देश में लागू है
– कोई भी व्यक्तिगत या सामूहिक गैरकानूनी गतिविधि, जिससे देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को खतरा हो, इस कानून के दायरे में है।
– इस कानून के तहत केस में एंटीसिपेटरी बेल यानी अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती
– किसी भारतीय या विदेशी के खिलाफ भी इस कानून के तहत केस चलाया जा सकता है
– भारत में रजिस्टर जहाज या विमान में हुए अपराध के मामलों में भी यह कानून लागू होता है।
– मुख्य तौर पर यह कानून आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए है।
– यह कानून NIA को अधिकार देता है कि वो किसी तरह की आतंकी गतिविधि में शामिल संदिग्ध को आतंकी घोषित कर सके
– इससे पहले सिर्फ समूहों को ही आतंकवादी घोषित किया जा सकता था, लेकिन 2019 में संशोधन के बाद किसी व्यक्ति को भी संदिग्ध आतंकी घोषित किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें – उदयपुर कन्हैयालाल हत्याकांडः सोशल मीडिया पर दर्जी का स्कैच वायरल, जानें सच्चाई