शुरू से शुरू करते हैं
पूरी कहानी जानने के लिए हम आपको साल 2022 की शुरुआत में ले चलते हैं। उस समय इस बात की खूब चर्चा थी की प्रशांत किशोर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की चुनावी रणनीति तैयार करेंगे। तब प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात भी की थी। कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता के सामने उन्होंने एक प्रेजेंटेशन दिया था, जो उन्होंने काफी मेहनत से बनाया था। लेकिन इस सबके बावजूद बात नहीं बनी जिसके बाद प्रशांत किशोर ने अलग रास्ता चुन लिया।
इसके बाद एक और शख्स अपना प्रेजेंटेशन लेकर तैयार था और उन्होंने इसके लिए पहले से ही जमीन पर काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन प्रेजेंटेशन देखने से पहले कांग्रेस पार्टी ने सुनील के सामने यह शर्त रखी कि वह पार्टी के सलाहकार के तौर पर नहीं बल्कि स्थाई रूप से जुड़ेंगे। सुनील को यह ऑफर पसंद आया और वह मान गए। उसके बाद सुनील ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।जिसके बाद पहले ही काम में उन्हें कर्नाटक और तेलंगाना की जिम्मेदारी दी गई।
सुनील की कहानी
40 साल के सुनील कर्नाटक के बेल्लारी जिले से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता कन्नड़ और मां तेलुगु है। शुरुआती पढ़ाई लिखाई सुनील की बेल्लारी में ही हुई। फिर पूरा परिवार चेन्नई शिफ्ट हो गया। वहां से सुनील ने आगे की पढ़ाई की। फिर यूएसए गए, वहां मास्टर की दो डिग्री ली। एक फाइनेंस और एक एमबीए में। पढ़ाई के बाद सुनील ने मैनेजमेंट कंसलटेंसी कंपनी में भी काम किया और 2009 में सुनील यूएसए से भारत लौट आए।
चकाचौंध से दूर रहना पसंद करते हैं
सुनील की रहन-सहन की बात करें तो वह काफी लो प्रोफाइल रहना पसंद करते हैं। मीडिया की चमक चमक उन्हें रास नहीं आती है। पर्दे के पीछे काम करना उन्हें ज्यादा अच्छा लगता है। कई चुनावों में राजनीतिक दलों को जीत दिलाने के बाद भी सुनील कभी मीडिया के सामने नहीं आए। सुनील किसी भी सोशल साइट्स पर भी नहीं है। अपने व्हाट्सएप पर वह डीपी भी नहीं लगाते। यहां तक कहा जाता है कि उनकी इतनी कम फोटो सार्वजनिक है कि मीडिया वाले ज्यादातर की गलत तस्वीर लगा देते हैं।
अलग रास्ता चुना
प्रशांत किशोर से अलग होने के बाद सुनील ने इलेक्शन कैंपेनिंग के लिए अपनी कंपनी शुरू की जिसका नाम माइंड शेयर एनालिटिक्स रखा। इस तरह उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई। कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने कर्नाटक के लिए तैयारी शुरू कर दी। कई रिपोर्ट्स यह बताते हैं कि सुनील की टीम ने कर्नाटक की सभी सीटों पर व्यापक रूप से सर्वे किया।
कहा यह भी जाता है कि टिकटों का बंटवारा भी, जो कांग्रेस आलाकमान द्वारा किया गया। उसके पीछे भी सुनील ने जो सर्वे रिपोर्ट सौंपा था, उसी के आधार पर हुआ। सुनील ने पिछले 8 महीने में कर्नाटक में पांच सर्वे कराए। कुछ सीटों को छोड़ दे तो सभी सीटों के उम्मीदवारों का चयन सुनील की टीम के सर्वे के रिपोर्ट के आधार पर ही हुआ था। इसी सर्वे के आधार पर कांग्रेस ने 70 हॉट सीटें भी चुनी थी।
कहा जाता है कि सुनील भी प्रशांत किशोर की तरह ही इवेंट और मीडिया मैनेजमेंट में माहिर हैं। लेकिन वह अपनी टीम पर कभी हावी नहीं होते। वह एक टीम प्लेयर की तरह रहते हैं और लाइमलाइट से दूर रहकर हर छोटी से छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं।
सही मुद्दा उठाया
चुनाव कैंपेन के दौरान कांग्रेस के बड़े नेता जैसे राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मलिकार्जुन खरगे जो बीजेपी सरकार पर 40% कमीशन लेने का आरोप लगाते थे, यह दिमाग भी सुनील का ही था। चुनाव से पहले कांग्रेस का ‘PayCM’ कैंपेन काफी हिट रहा। विपक्ष ने बीजेपी सरकार को 40 परसेंट कमीशन वाली सरकार का तमगा दे दिया।
इसी तरह नंदिनी और अमूल के बीच हुए झगड़े को कन्नड़ अस्मिता से जोड़ने का रणनीति भी इन्होंने ही तैयार किया था। अमूल ने 5 अप्रैल को ट्वीट करके कर्नाटक में अपनी एंट्री की घोषणा की थी। इसके बाद से ही कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया कि यह हमारे राज्य के नंदनी ब्रांड को खत्म करने की साजिश है।
यह कर्नाटक की अस्मिता को खत्म करने की साजिश है। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री को टैग करके लिखा था, आपने पहले ही कन्नड़ लोगों से बैंक, एयरपोर्ट और पोर्ट छीन लिया है। क्या आप हमसे नंदिनी भी छीनने की कोशिश कर रहे हैं?
इस मुद्दे पर कर्नाटक की आम जनता बंट गई। हर जगह बवाल हुआ। कुछ लोग नंदिनी के पक्ष में थे तो कुछ लोग अमूल के आने का स्वागत भी कर रहे थे। लेकिन ज्यादा लोग अमूल के बहिष्कार करने के पक्ष में थे। इसलिए ट्विटर पर कर्नाटक के लोगों ने अमूल का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर कई जगह यह बात भी चलने लगी थी कि अमूल के आने के बाद राज्य में दूध की कीमत बढ़ जाएगी। जिससे गरीब लोगों की परेशानी बढ़ जाएगी।
तो ये है सुनील की चुनावी कौशल के कुछ उदाहरण जो हमने आपके समक्ष रखा। बता दें कि उनके पास चुनावी रणनीति तैयार करने का लगभग 10 साल का अनुभव है। पिछले साल जब उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी तभी उन्हें उस टास्क फ़ोर्स में शामिल कर लिया गया था, जो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का काम देख रहा है।
इस टास्क फोर्स में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, जयराम रमेश, अजय माकन, रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रियंका गांधी, मुकुल वासनिक जैसे कई पुराने और दिग्गज नेता शामिल हैं। अब देखनाल दिलचस्प होगा कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ कौन-कौन से कैंपेन लॉन्च करती है और इसके पीछे के रणनीतिकार सुनील कांग्रेस को इससे कितना फायदा पहुंचा पाते हैं।