बयान दर्ज करते समय सिर्फ टेप रिकॉर्डर नहीं बनें ट्रायल जज
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जजों को गवाहों के बयान दर्ज करने वाले महज टेप रिकॉर्डर के रूप में कार्य करने के बजाय सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। यदि बयान दर्ज करते समय अभियोजक कोई चूक करता है तो जज को दखल कर आवश्यक जानकारी जुटाने के लिए गवाह से सीधे प्रश्न पूछना चाहिए। हत्या के एक मामले में अपील का फैसला करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला तथा जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सच्चाई तक पहुंचना और न्याय के उद्देश्य की पूर्ति करना अदालत का कर्तव्य है। जज को न्याय की सहायता के लिए कार्यवाही की निगरानी करनी होती है। भले ही अभियोजक में लापरवाह या सुस्त हो, अदालत को कार्यवाही को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करना चाहिए ताकि सत्य तक पहुंचा जा सके। अभियोजन एजेंसी की ओर से लापरवाही या उदासीनता की िस्थति में ट्रायल जज को साक्ष्य अधिनियम के तहत मिली शक्तियों के तहत सबूत जुटाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
सरोगेसी कानून मामले में सुनवाई जुलाई में
सुप्रीम कोर्ट सरोगेसी नियमन कानून, 2021 और इसके तहत बने नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जुलाई में सुनवाई करेगा। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एजी मसीह ने इस मामले में निर्णय के लिए पांच विधिक बिंदुओं का निर्धारण किया है। इसमें कॉमर्शियल सरोगेसी पर रोक, विवाहित जोड़ों के लिए सरोगेसी की आयु, एकल महिलाओं में केवल विधवा और तलाकशुदा को सरोगेसी का अधिकार तथा संतानशुदा दंपतियों को सरोगेसी का अधिकार जैसे बिंदु शामिल हैं।