इस बीच, विपक्ष के कई सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और इस बारे में एक अखबार में छपी खबर की प्रतियां लहराते हुए जोर-जोर से नारे लगाने लगे। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे, दीपेन्द्र सिंह हुडा और के सी वेणुगोपाल, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी करुणाकरण तथा तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय सहित विपक्ष के सदस्यों ने अध्यक्ष से इस मुद्दे पर लाए गए अपने स्थगन नोटिस पर चर्चा की मांग की। लेकिन अध्यक्ष ने उन्हें आश्वासन दिया कि शून्यकाल के दौरान उन्हें बोलने का मौका दिया जाएगा। उनका यह आचरण उचित नहीं है लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। सुमित्रा महाजन ने हंगामे के बावजूद सदन की कार्यवाही जारी रखी और मंत्रियों ने शोर शराबे के बीच ही सदस्यों के प्रश्नों के जवाब दिए।
इससे पहले शून्यकाल में भी सदन की कार्यवाही दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर दो बार स्थगित की गई थी। पहली बार उप सभापति पी जे कुरियन ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए और दूसरी बार 12 बजे तक के लिए स्थगित की। हालांकि सरकार ने सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन देते हुए कहा कि गुजरात सरकार ने इस मामले पर तेजी से कार्रवाई की है।
सामाजिक न्याय एंव आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि घटना के दो घंटे के अंदर ही दस से भी अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ सख्त धाराओं के तहत मामले दर्ज किये गये। उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्च स्तर पर जांच कराई जा रही है और दोषियों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जायेगी। पीडित परिवारों को आर्थिक सहायता भी दी जा रही है और केन्द्रीय मंत्रालय भी इस मामले में जरूरत पडने पर सहायता देगा।