रैली की मुख्य मेजबान हैं कल्पना सोरेन पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन “घोषित-अघोषित” तौर पर इस रैली की मुख्य मेजबान हैं। झारखंड के कई शहरों में लगाई गई होर्डिंग्स में उनकी तस्वीरें छाई हुई हैं। ऐसे में इस रैली को हेमंत सोरेन की गैरमौजूदगी में कल्पना सोरेन को झारखंड में गठबंधन के मुख्य चेहरे के तौर पर स्थापित-प्रचारित करने के “जलसे” के तौर पर भी देखा जा रहा है। गठबंधन की पार्टियों का दावा है कि रैली में पांच लाख से ज्यादा लोग जुटेंगे। उलगुलान का आदिवासी भाषाओं में अर्थ क्रांति होता है झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि इस रैली में जुटने वाले लोग “दही-चूड़ा खाएंगे और भाजपा को भगाएंगे” का संदेश लेकर पूरे राज्य में जाएंगे। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने इसे परिवारवादी और भ्रष्टाचार के आरोपी को महिमामंडित करने वाली रैली करार दिया है।
पोस्टरों में आदिवासी मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की तस्वीर नहीं रैली को लेकर जारी पोस्टरों पर भारतीय जनता पार्टी और झामुमो के बीच जुबानी जंग चल रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि सही मायने में इसे उलगुलान रैली नहीं, बल्कि आदिवासी अपमान महारैली कहा जाना चाहिए, क्योंकि रैली के पोस्टरों में आदिवासी मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की तस्वीर नहीं है। यह हास्यास्पद है और आदिवासियों के लिए अपमान की बात है। अब जेएमएम का मतलब सिर्फ हेमंत सोरेन परिवार तक सीमित रह गया है। भाजपा के इस आरोप पर झामुमो ने पलटवार किया है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को दृष्टि का इलाज कराना चाहिए, क्योंकि उन्हें वो पोस्टर दिखाई नहीं दे रहे, जिसमें सीएम चंपाई सोरेन हैं। बहरहाल, आरोप-प्रत्यारोप के बीच रविवार को होने वाली रैली की तैयारियां जोरों पर हैं। रैली स्थल पर विशाल पंडाल और तीन मंच बनाए गए हैं। रैली में सुरक्षा को लेकर भी व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं।