तीन बार सांसदी का चुनाव लड़े और हर बार हारे मांझी इससे पहले तीन चुनाव में भाग्य आजमा चुके हैं, लेकिन मतदाताओं की पसंद नहीं बन पाए। इस चुनाव में मांझी दावा करते हैं कि इस बार उनकी जीत तय है। उन्होंने कहा कि गया ही नहीं देश की जनता ने इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को ‘400 पार’ कराने का निर्णय ले लिया है। छह विधानसभा वाले इस लोकसभा क्षेत्र से कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। लेकिन, मुख्य मुकाबला मांझी और महागठबंधन की ओर से राजद नेता और बिहार के मंत्री रहे कुमार सर्वजीत के बीच माना जा रहा है।
झी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं मांझी 18.16 लाख मतदाता वाले इस क्षेत्र में चुनाव को लेकर उत्साह है। जीतन राम मांझी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और पहली बार वर्ष 1980 में विधायक बने। जीतन राम मांझी ने सांसद बनने के लिए गया संसदीय क्षेत्र से अपना पहला चुनाव 1991 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और हार गए थे। इसके बाद 2014 में उन्होंने जदयू उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। लेकिन, यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली और तीसरे नंबर पर रहे।
CM अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की याचिका, जेल से सरकार चलाने के लिए जेल मांगी सुविधाएं अबकी बार NDA लगा पाएगा पार! हालांकि, लोकसभा चुनाव लड़ने के बावजूद जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बन गए थे। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी फिर से चुनावी मैदान में उतरे। इस चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर जदयू नेता विजय मांझी ने उन्हें हराया। शेरघाटी, बोधगया, बाराचट्टी, गया, बेलागंज और वजीरगंज विधानसभा वाले गया लोकसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम जातीय समीकरण तय करते रहे हैं।