उन्होंने कहा कि सहारपुर में हिंसा को जातीय हिंसा का नाम दिया गया है जबकि यह दलितों को डराने धमकाने की कार्रवाई थी। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने टीका टिप्पणी करते हुए शोरगुल शुरू कर दिया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि
मायावती दलितों के नाम पर राजनीति कर रही है। सहारनपुर मामले की जांच चल रही है। इस बीच उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि भीड़ द्वारा हत्या किए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत अनुमति दी गर्इ है और प्रत्येक वक्ता के लिए तीन मिनट निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने
मायावती से अपनी बात समाप्त करने को कहा। जब वह लगातार बोलती रही तो कुरियन ने उन्हें बार बार बैठने को कहा। इस पर
मायावती ने कहा कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी जाती है तो मैं अभी इस्तीफा दे रही हूँ।’
मायावती ने आरोप लगाया कि जब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार सत्ता में आर्इ है, पूरे देश में दलितों, पिछड़ों, मुस्लिमों, इसाइयों, किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्ग का शोषण हो रहा है। आंध्रप्रदेश में
रोहित वेमुला कांड और गुजरात में उना कांड हुआ। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से लगातार दलितों पर कभी गोरक्षा के नाम पर तो कभी किसी अन्य बहाने से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबीरपुर में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में दलितों का उत्पीडऩ किया गया। उनके 60 से 70 घर जला दिए गए, माताओं-बहनों का उत्पीड़न किया गया।
उन्होंने कहा कि पहले उन्हें हेलिकॉप्टर से वहाँ जाने की इजाजत नहीं दी गर्इ। सड़क मार्ग से जाने पर भी जगह-जगह उनके लिए दिक्कत पैदा की गर्इ। उनके पास जेड प्लस की सुरक्षा होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं दी गर्इ। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उन्होंने वहाँ किसी प्रकार की भड़काने वाली बात नहीं की। मैंने लोगों से भाईचारे से रहने की अपील की जो सरकार को अच्छा नहीं लगा।
मायावती ने आरोप लगाया कि जिन लोगों के घर जल गए थे और जो घायल हुए थे उन्हें आर्थिक मदद के लिए ड्राफ्ट सौंपने से भी जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने उन्हें मना कर दिया। हालाँकि, 15-16 दिन बाद उन्हें आर्थिक मदद की अनुमति दी गर्इ।
मायावती ने कहा कि पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है, लेकिन दलितों को विशेष तौर पर निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसी सरकार के रहते, ऐसे हाउस में जहाँ मुझे बोलने ही नहीं दिया जा रहा है, मेरे आने का कोई फायदा नहीं है।’ उन्होंने कहा कि संसद दबे-कुचले लोगों के मुद्दे उठाने के लिए है। स्वयं बाबा साहब अंबेडकर को भी हिंदू कोड विधेयक नहीं रखने दिया गया था और उन्हें भी कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था और फिर मीडिया में आकर अपने इस्तीफे का कारण बताना पड़ा था। उनकी अनुयायी होने के कारण मैंने भी इस्तीफा देने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि
मायावती का राज्यसभा का छह साल का कार्यकाल मार्च 2018 में समाप्त हो रहा है।