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एआई-तकनीक से नए वोटर्स-यूथ को लुभाने का ‘माइंड गेम’, सोशल मीडिया से कंटेंट तैयार

Lok Sabha Elections 2024 : पार्टियां तकनीकी मदद से युवाओं के साथ पहली बार के वोटर्स को अपनी ओर खींचने में जुटी हैं। देश के कुल वोटर्स में से 52.5 फीसदी की उम्र 39 वर्ष से कम है। पढ़िए हेमंत पाण्डेय और सेंथिल नयागाम की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीApr 17, 2024 / 11:16 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : वोटर्स तीन तरह के होते हैं। पहले, जो पार्टी लाइन पर चलते हैं। उन्हें ये फर्क नहीं पड़ता है कि प्रत्याशी कौन हैं। वे केवल पार्टी के नाम पर वोट देते हैं। दूसरे होते हैं अनिर्णय वाले (अनडिसाइडेबल) वोटर्स यानी वे जो पार्टी लाइन पर नहीं चलते। प्रत्याशी, स्थानीय मुद्दों और विकास आदि को ध्यान में रखकर वोट करते हैं। ये हमेशा एक पार्टी को वोट नहीं करते हैं। तीसरे होते हैं पहली बार के वोटर्स। ये जब तक वोट नहीं दे देते, तब तक उनका विचार बदलता रहता है। इनकी उम्र 18-25 वर्ष के बीच है। जहां कड़ी टक्कर होती है, वहां यही वोटर्स जीत में भूमिका निभाते हैं। इसलिए पार्टियां तकनीकी मदद से युवाओं के साथ पहली बार के वोटर्स को अपनी ओर खींचने में जुटी हैं। देश के कुल वोटर्स में से 52.5 फीसदी की उम्र 39 वर्ष से कम है।
पर्सनलाइज्ड कंटेंट से जल्दी जुड़ रहे हैं युवा
एआई और कंटेंट एक्सपर्ट सेंथिल नयागाम का कहना है कि चुनाव में नए वोटर्स ज्यादा मायने रखते हैं। पहली बार वोट देने वाले जागरूक होते हैं। देखा गया है कि जब तक वे वोट नहीं डाल देते, तब तक उनके विचार बदलते रहते हैं। ये सभी वोटर्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी एक्टिव हैं। उन्हें पता है कि देश में क्या चल रहा है? क्या डिबेट हो रही है? सोशल मीडिया कंटेंट देखकर उनके विचार बनते-बिगड़ते हैं। यह बात कमोबेश 40 वर्ष तक के वोटर्स के साथ है। इन्हें अपने पक्ष में करने के लिए ज्यादातर पार्टियां हाइपर पर्सनलाइज्ड कंटेंट तैयार करवा रही हैं ताकि वोटर्स उनकी पार्टी से कनेक्ट हो सकें।
सोशल मीडिया से कंटेंट तैयार
सेंथिल कहते हैं कि वोटर्स को चुनाव शुरू होने के साथ मैसेज देना शुरू हो गया है। कंटेंट तैयार करने लिए एआई से उनके सोशल मीडिया के डेटा का एनालिसिस कर पर्सनलाइज्ड कंटेंट तैयार होता है। जैसे कोई यूथ जॉब सर्च करता है तो उसे अधिक रोजगार देने का दावा करने वाला कंटेंट मुहैया कराया जाता है। वह किसी विचारधारा से जुड़ा है तो वैसा कंटेंट करवाया जा रहा है।
मॉनिटरिंग से रिमाइंडर तक
एआई की मदद से हर वोटर की सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग संभव है। उन्हें रिमाइंडर भी कराया जा सकता है। विभिन्न दल इसकी मदद ले रहे हैं। कुछ वोटर्स को ऐसे भी मैसेज आ रहे हैं कि उनकी पार्टी जीत रही है, लेकिन फिर भी वोट करें क्योंकि आपका वोट ज्यादा मैटर करता है।
ऑनलाइन कैंपेन और डिबेट भी
युवाओं को ध्यान में रखकर बेरोजगारी, महंगाई और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर 30 सेकंड से एक मिनट तक के वीडियो, ब्लॉग, पोस्टर आदि ऑनलाइन कंटेंट दिए जा रहे हैं। पार्टियां अलग-अलग मुद्दों पर डिबेट भी करवा रही हैं। इन्फ्लुएंसर्स भी शामिल किए जा रहे हैं।

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