एआई और कंटेंट एक्सपर्ट सेंथिल नयागाम का कहना है कि चुनाव में नए वोटर्स ज्यादा मायने रखते हैं। पहली बार वोट देने वाले जागरूक होते हैं। देखा गया है कि जब तक वे वोट नहीं डाल देते, तब तक उनके विचार बदलते रहते हैं। ये सभी वोटर्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी एक्टिव हैं। उन्हें पता है कि देश में क्या चल रहा है? क्या डिबेट हो रही है? सोशल मीडिया कंटेंट देखकर उनके विचार बनते-बिगड़ते हैं। यह बात कमोबेश 40 वर्ष तक के वोटर्स के साथ है। इन्हें अपने पक्ष में करने के लिए ज्यादातर पार्टियां हाइपर पर्सनलाइज्ड कंटेंट तैयार करवा रही हैं ताकि वोटर्स उनकी पार्टी से कनेक्ट हो सकें।
सेंथिल कहते हैं कि वोटर्स को चुनाव शुरू होने के साथ मैसेज देना शुरू हो गया है। कंटेंट तैयार करने लिए एआई से उनके सोशल मीडिया के डेटा का एनालिसिस कर पर्सनलाइज्ड कंटेंट तैयार होता है। जैसे कोई यूथ जॉब सर्च करता है तो उसे अधिक रोजगार देने का दावा करने वाला कंटेंट मुहैया कराया जाता है। वह किसी विचारधारा से जुड़ा है तो वैसा कंटेंट करवाया जा रहा है।
एआई की मदद से हर वोटर की सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग संभव है। उन्हें रिमाइंडर भी कराया जा सकता है। विभिन्न दल इसकी मदद ले रहे हैं। कुछ वोटर्स को ऐसे भी मैसेज आ रहे हैं कि उनकी पार्टी जीत रही है, लेकिन फिर भी वोट करें क्योंकि आपका वोट ज्यादा मैटर करता है।
युवाओं को ध्यान में रखकर बेरोजगारी, महंगाई और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर 30 सेकंड से एक मिनट तक के वीडियो, ब्लॉग, पोस्टर आदि ऑनलाइन कंटेंट दिए जा रहे हैं। पार्टियां अलग-अलग मुद्दों पर डिबेट भी करवा रही हैं। इन्फ्लुएंसर्स भी शामिल किए जा रहे हैं।