सात अधिकारियों पर लगे आरोप
लोकायुक्त के प्रकरण के अनुसार मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में इलेक्ट्रानिक मीटर खरीदी के नाम पर बड़ा घोटाला किया गया था। इस मामले में लोकायुक्त ने अजिता बाजपेयी सहित 7 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। अजिता बाजपेयी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति केन्द्र सरकार से मिलने के बावजूद उन्होंने हाईकोर्ट से अपने हक में स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया। जिसके चलते उनके खिलाफ लोकायुक्त कोर्ट में ट्रायल अधर में लटक गई थी। 2 अक्टूबर 2014 को हाइकोर्ट ने बाजपेयी की याचिका खारिज करते हुए यह स्थगन वापस ले लिया था। उसके बाद मामले पर विचारण आरम्भ हुआ था। प्रकरण के मुताबिक मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में महज 350 रुपए मूल्य का इलेक्ट्रानिक मीटर 750 रुपए में खरीदने का खेल खेला गया। इसके जरिए सरकार को करोड़ों रुपए की आर्थिक चोट पहुंचाई गई। साथ ही उपभोक्ताओं को भी नुकसान हुआ। अजिता बाजपेयी मीटर खरीदी की अवधि में मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में वित्त सदस्य और फायनेंस कमेटी की चेयरपर्सन थीं। लिहाजा, उनकी जिम्मेदारी अहम थी।
करोड़ों का नुकसान
अजिता बाजपेई पांडे सहित सभी अधिकारियों पर 1998 और 2003 में बिजली के मीटर को ऊंची दर पर खरीदी कर विद्युत मंडल को लगभग साढ़े छह करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप था। अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने बिना निविदा के मीटर की खरीदी का प्रस्ताव तैयार किया, इससे मंडल को नुकसान हुआ। शिकायत लोकायुक्त के पास पहुंची। 2004 में प्रारंभिक जांच में लोकायुक्त ने अनियमितता पाई और प्रकरण दर्ज करने के बाद न्यायालय में चालान पेश किया। 16 जून, 2007 को इस मामले में एक और आरोप पत्र पूर्व राज्य बिजली बोर्ड के अध्यक्ष एसके दासगुप्ता, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अजिता वाजपेयी पांडे और चार अन्य लोगों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इस मामले में लोकायुक्त की विशेष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए आईएएस अजिता वाजपेई पांडे को निर्दोष करार दिया।