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Modi Two Years: ऐसे बनाई pm मोदी ने अपनी ‘ब्रांड’ इमेज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो साल के कार्यकाल के दौरान देश की जनता ने pm को कई बार विपक्ष के जबरदस्त हमले का जवाब देते और कई बार भावुक होते भी देखा है। इन सब के बीच क्करू की ‘ब्रांड’ इमेज बनी रही है। आखिर ये पूरा जादू चला कैसे, आइए समझते हैं।

May 26, 2016 / 11:05 pm

balram singh

PM Modi addressing World Sufi Forum

PM Modi addressing World Sufi Forum

pm नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दो साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान पूरे देश को अच्छे दिन का सपना दिखाकर सत्ता में आने वाली पार्टी बीजेपी ने खुद इन दो साल में अच्छे दिन भी देखे तो कुछ दिनों अहसास थोड़ा चुभने वाला भी रहा है। 
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रैली कर pm मोदी ने दो साल की उपलब्धियों का बखान करते हुए सभी को जता दिया है कि अब नज़र उत्तर प्रदेश पर भी रखो। वैसे भी हाल में हुए 4 राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में चुनाव नतीजे से पार्टी उत्साहित है और उत्तर प्रदेश के साथ ही चार अन्य राज्यों में होने वाले आगामी चुनावे के लिए भी बीजेपी अच्छे परिणाम की उम्मीद रखती है। 
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो साल के कार्यकाल के दौरान देश की जनता ने pm को कई बार विपक्ष के जबरदस्त हमले का जवाब देते और कई बार भावुक होते भी देखा है। इन सब के बीच क्करू की ‘ब्रांड’ इमेज बनी रही है। आखिर ये पूरा जादू चला कैसे, आइए समझते हैं।
मोदी का जैकेट और कुर्ता भी बना ब्रांड

प्रधानमंत्री बनने से पहले ही नरेद्र मोदी की इमेज के साथ-साथ उसके साथ जुड़ी सभी चीजें ब्रांड बनने लगी थी। यहां तक कि मोदी का जैकेट और कुर्ता भी अपनी ब्रांड इमेज ले चुका था। जिस तरह देश मे आजादी के आंदोलन और उसके बाद जवाहर जैकेट लोकप्रिय हुई थी, उसी तरह आज देश ही नहीं दुनिया में मोदी जैकेट और मोदी कुर्ता की पूछ बहुत बढ़ गई थी। मोदी की इस इमेज को भी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में खूब भुनाया। पार्टी ने मोदी की इमेज को थीम सांग में भी इस्तेमाल किया। मोदी ने भी चुनाव में कमल के निशान का जमकर इस्तेमाल किया।
 कुल मिलाकर परिणाम लोकसभा चुनाव में जीत के तौर पर सामने आया। 

इसके बाद जब नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना गया तो तो वो भावुक हो उठे और अपने आंसू नहीं रोक पाए। दूसरी ओर, जब मीलों दूर गांधीनगर में बैठी उनकी मां हीराबा भी अपने आंसू भी नहीं रोक पाई, बेटे को भावुक देख उनकी आंखों से आंसू निकल आए तो इस नज़ारे को पूरे देश में देखा। संसद भवन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में लालकृष्ण आडवाणी द्वारा संसदीय दल के नेता के तौर पर उनका नाम प्रस्तावित किये जाने और सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मुरली मनोहर जोशी आदि द्वारा उनका अनुमोदन किये जाने के बाद अपने भाषण के दौरान उन्हें रोना आ गया और उन्हें अपने को संभालने में उन्हें कुछ समय लग गया था। अपने संबोधन बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जब कहा कि कि नरेंद्र भाई ने कृपा की। इतना सुनने के बाद वह अपना रोना नहीं रोक पाए और कुछ देर तक सिर झुकाए खड़े रहे और अपने को संभालने का प्रयास करते देखे गए। कुछ देर की खामोशी के बाद वह रुंधे गले से बोले, क्या मां की सेवा कभी कृपा हो सकती है? कतई नहीं हो सकती. जैसे भारत मेरी मां है, वैसे ही भाजपा भी मेरी मां है और इसीलिए बेटा कभी मां पर कृपा नहीं कर सकता है। बेटा सिर्फ समर्पित भाव से मां की सेवा करता है। मोदी ने कहा कि कृपा तो पार्टी ने की जिसने मां की सेवा का अवसर दिया। इससे पहले संसद पहुंचते ही अंदर घुसने से पहले मोदी ने संसद की चौखट को चूमा, इसे देख सभी मोदी समर्थक भावुक हो उठे थे।
चाय पर चर्चा

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान विदेश यात्राएं भी खूब की है। इस दौरान जब वो facebook मुख्यालय पहुंचे थे तो अपनी मां को याद करके रो पड़े थे। उस वक्त वो फेसबुक के सीईओ मार्क मार्क जुकरबर्ग से बाते कर रहे थे। उस समय माहौल एकदम भावुक हो गया था जिस समय पीएम मोदी ने अपनी मां के बारे करते हुए कहा कि मां ने पहले दूसरे के घरों में बर्तन धोए हैं और मां के ही कर्मों की वजह से मैं आज यहां पहुंचा हूं। इस दौरान उन्होंने अपने बचपने में चाय बेंचे जाने वाली उस बात का भी जिक्र किया, जिसका जिक्र वो अक्सर करते रहते है। चाय बेंचने वाली बात भी उनकी ब्रांड इमेज का हिस्सा बन गई है।
डिजिटल इंडिया

पीएम मोदी से मुलाकात के ठीक पहले मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल फोटो बदली जिसमें तिरंगे के रंग अंदर मार्क की तस्वीर थी। जिसके जरिए उन्होंने ‘डिजिटल इंडिया’ समर्थन किया। इस दौरान डिजिटल इंडिया की बात करते हुए मोदी ने कहा कि देश के विकास के लिए जितने हाईवे की जरूरत है, उतनी ही आई-वे यानी इंटरनेट की भी है। मोदी ने कहा कि भारत में दो चीजों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है- एक आधारभूत ढांचा, दूसरा डिजिटल ढांचा और इसी कारण हमने पिछले सौ दिनों में दोनों ही बिंदुओं पर काम करने की कोशिश की है।
आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम

3 अक्तूबर 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए लोगो को लगातार संबोधित कर रहे हैं। जनवरी 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उनके साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया था। इस कार्यक्रम के ज़रिए भी मोदी की ब्रांड इमेज में इजाफा हुआ।
काले धन पर रुख

वहीं, काले धन के मसले पर कहा जा जाता है कि भले ही विदेशों में रखा काला धन देश में नहीं लौट पाया है, लेकिन काले धन के उत्पादन की प्रक्रिया की गति जरूर धीमी पड़ी है। सराकार ने इसको लेकर सख्त रूख अपनाया है। इसके तहत बजट सत्र के दौरान सरकार की ओर से प्रावधान किया गया कि 3 महीनों के अंदर कोई व्यक्ति अगर अपने काले धन के बारे में जानकारी दे देता है, तो उस पर 30 प्रतिशत टैक्स और 30 प्रतिशत ज़ुर्माना लगेगा, लेकिन इस अवधि के बाद काला धन पकड़े जाने पर टैक्स का तीन गुना जुर्माना देना पड़ेगा।
स्वच्छता अभियान

बात स्वच्छता अभियान की करे तो एक ओर जहां प्रधानमंत्री मोदी ने ‘स्‍वच्‍छता अभियान’ को जन आंदोलन का रूप दे दिया और मेक इन इंडिया के साथ ही स्टार्ट अप इंडिया और बुलेट ट्रेन जैसी योजनाओं से देश नई आशाएं जगाई, वहीं उनकी विदेश यात्राओं को भी विपक्ष के साथ-साथ विशेषज्ञों ने भी तिरछी नज़र से देखा। चुनाव में सभी के लिए अच्छा दिन आने का वादा जब खोखला साबित होता दिखआ तो उससे लोगों को निराशा हुई। दरअसल, लोगों को बीजेपी के चुनावी नारे – ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ से ख़ासी उम्मीदें थीं। ‘सबका साथ सबका विकास’ नारा भी एक जुमला साबित हुआ।
पाकिस्तान से संबंध

वहीं, पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध भले ही बेहतर न हुए हों, लेकिन पीएम मोदी ने विदेश नीति की अपरम्परागत शैली से उसे अन्तर्रराष्ट्रीय मंच पर मजबूर कर ही दिया है। चीन को साधना वैसे भी किसी के लिए आसान नहीं है। लेकिन अमेरीका, जर्मनी, फ्रांस, जापान तथा आस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ भारत की बढ़ी हुई नजदीकियों ने विश्व में उसकी छवि में इजाफा किया है। विदेशों में रह रहे अप्रवासी भारतीयों को भावनात्मक स्तर पर देश से जोड़ने के उनके प्रयास भी रंग ला रहे हैं। हां, नेपाल के मामले में फिलहाल असफलता जरूर दिखाई दे रही है।

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