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तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण बन रहा चुनावी मुद्दा, जानें क्यों

Muslim Reservation: अमित शाह तेलंगाना के दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि बीजेपी यदि सत्ता में आती है तो वो मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर देगी। अमित शाह के भाषण से स्पष्ट हो रहा है कि बीजेपी के लिए इस बार मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा अहम बनने वाला है लेकिन क्यों?

May 15, 2022 / 04:27 pm

Mahima Pandey

Muslim reservation in telangana, Amit shah speech, KCR

Muslim reservation in telangana, Amit shah speech, KCR

तेलंगाना में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले ही सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुट चुकी हैं। गृहमंत्री अमित शाह भी तेलंगाना के दौरे पर पहुंचे हैं और यहाँ उन्होंने चुनावी बिगुल फूंकते हुए कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो अल्पसंख्यक कोटे को खत्म कर देगी। ये वही आरक्षण है जिसके बल पर यहाँ राजनीतिक दल तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं।
अमित शाह ने कहा, “बीजेपी कल अगर चुनाव होते हैं तो उसका सामना करने के लिए तैयार है, मैं दीवार पर लिख सकता हूँ कि TRS की हार होगी।’

शाह ने सत्तारूढ़ टीआरएस द्वारा मुस्लिम आरक्षण को 12 फीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, TRS ने 2014 के चुनाव में वादा किया था। अप्रैल 2017 में, तेलंगाना विधानसभा ने मुसलमानों के लिए 4% से 12% और अनुसूचित जनजातियों के लिए 6% से 10% तक आरक्षण बढ़ाने के लिए एक विधेयक पारित किया।जब इसे केंद्र के पास भेजा गया मंजूरी के लिए तो केंद्र ने धर्म आधारित आरक्षण पर आपत्ति जताते हुए इस कदम की निंदा की थी।’
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12 फीसदी आरक्षण का वादा
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में केसीआर ने कहा था कि तेलंगाना सरकार मुस्लिम आरक्षण को 4 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का निर्णय लिया था। आरक्षण में इस वृद्धि के बाद राज्य में कुल निर्धारित आरक्षण 50 फीसदी हो जाता। लेकिन केंद्र ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी। अमित शाह ने इस मुद्दे को उठाकर आरक्षण ही खत्म करने की बात कही है। लेकिन ऐसा क्यों?

क्या मुस्लिम आरक्षण बन रहा चुनावी मुद्दा?
तेलंगाना की जनसंख्या देखें तो यहाँ 84% हिन्दू, 12.4% मुस्लिम और 3.2% सिख, ईसाई और अन्य धर्म के लोग हैं। यहाँ मुस्लिम वोटों के जरिए सियासी दांव पेंच हर चुनाव में देखने को मिले है।
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AIMIM के फायरब्रैंड नेता असदुद्दीन ओवैसी भले ही मुस्लिम हितों की बातें करते हैं लेकिन उन्हें मुस्लिम वोट कुछ खास नहीं मिलते। राज्य की 119 विधानसभा क्षेत्रों में से 40-45 सीटों पर अल्पसंख्यकों का खासा प्रभाव है। ऐसे में यहाँ के राजनीतिक दलों के लिए मुस्लिम वोट काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

वहीं, हिन्दू मतदाता बहुसंख्यक हैं और अमित शाह इसी तबके को अपने पक्ष में करने के लिए मुस्लिम आरक्षण को बड़ा मुद्दा बनाते हुए नजर आ रहे हैं।

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