scriptताइवान की राष्ट्रपति से मिलीं नैंसी पेलोसी, वाशिंगटन पोस्ट में लेख से चीन को दिया सख़्त संदेश: ताइवान की सुरक्षा के लिए अमरीका प्रतिबद्ध | Nancy Pelosi met Taiwan Presindent, Give a strong message to China | Patrika News
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ताइवान की राष्ट्रपति से मिलीं नैंसी पेलोसी, वाशिंगटन पोस्ट में लेख से चीन को दिया सख़्त संदेश: ताइवान की सुरक्षा के लिए अमरीका प्रतिबद्ध

स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने बुधवार सुबह ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से मुलाकात की, जिसमें चीन के साथ और तनाव के लिए मंच तैयार करने वाली हाई-प्रोफाइल बैठकों की एक निर्धारित श्रृंखला थी। सांसदों के साथ बैठक के बाद, सुश्री पेलोसी ने सुश्री त्साई से केंद्रीय ताइपे में राष्ट्रपति कार्यालय में मुलाकात की। यात्रा से पहले गोपनीयता से हटकर दोनों के बीच बैठक का सीधा प्रसारण किया गया। “आज दुनिया लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक विकल्प का सामना कर रही है,” सुश्री पेलोसी ने कहा। “यहां ताइवान और दुनिया भर

जयपुरAug 03, 2022 / 10:09 am

Swatantra Jain

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स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने बुधवार सुबह ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से मुलाकात की है, और इसके बाद कई हाई-प्रोफाइल बैठकों की एक पूरी श्रृंखला निर्धारित है। पेलोसी यहाँ ताइवान के सबसे बड़े सेमीकंडक्टर निर्माता कंपनी TSMC के चेयरमैन Mark Liu से भी मिलेंगी। TSMC अमरीका में भी सेमी कंडक्टर की एक बड़ी फैक्ट्री लगा रहे हैं। ताइवान में नैंसी के इन मीटिंग्स से चीन और ज्यादा भड़कना तय माना जा रहा है।
दोस्ती के लिए आए हैं: पेलोसी

यूएस हाउस स्पीकर ने ताइवान पहुंचकर कहा है कि उन्हें “ताइवान की अच्छी दोस्त” के रूप में संबोधित कर सम्मानित किया जाना उनके लिए गर्व की बात है। नैंसी ने कहा है कि इस स्व-शासित द्वीप ताइवान की उनकी यात्रा के तीन मुख्य उद्देश्य हैं।
1. पहला है सुरक्षा, हमारे लोगों के लिए सुरक्षा और वैश्विक सुरक्षा।

2. दूसरा है अर्थशास्त्र, ज्यादा से ज्यादा समृद्धि फैलाना।

3. तीसरा है गवर्नेंस

पेलोसी ने ताइवान के डिप्टी स्पीकर से बातचीत के बाद ये बयान जारी किया है। अमरीकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने बुधवार यहां ताइवान पहुंचने के बाद कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल ‘क्षेत्र की शांति” के लिए ताइवान आया है। पेलोसी की इस यात्रा से चीन बेहद भड़का हुआ दिख रहा है और इसके बाद से क्षेत्र में राजनयिक हलचल देखने को मिल रही है। चीन की लगातार चेतावनी के बावजूद पेलोसी मंगलवार देर रात ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंची हैं। वह ताइवान की यात्रा करने वाली पिछले 25 वर्षों में सबसे उच्च स्तर की अमेरिकी अधिकारी हैं। ताइवान को अपना क्षेत्र मानने वाले चीन ने कहा था कि अगर पेलोसी ताइवान की यात्रा करती हैं तो वह उसे उकसावे के तौर पर लेगा। बता दें, चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है और कहता है कि वह उसे अपने में मिलाएगा।ताइवान की संसद के डिप्टी स्पीकर Tsai Chi-chang के साथ एक बैठक के दौरान पेलोसी ने कहा, ‘हम ताइवान से दोस्ती के लिए आए हैं, इस क्षेत्र में शांति के लिए आए हैं।’
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अमरीकी चिप उद्योग को मजबूत करने पर नजर

सांसदों के साथ बैठक के बाद, अमरीका की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान की राष्ट्रपति त्साई से केंद्रीय ताइपे में राष्ट्रपति कार्यालय में मुलाकात की। गौर करने की बात ये है कि गोपनीयता से हटकर दोनों के बीच बैठक का सीधा प्रसारण किया गया। पेलोसी ने यह भी कहा कि वह “अंतर-संसदीय सहयोग और संवाद बढ़ाना” चाहती हैं और ताइवान के साथ ऐसा करने के लिए विशिष्ट तरीकों पर काम करना चाहती हैं। उन्होंने सप्ष्ट कहा कि चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अमरीकी चिप उद्योग को मजबूत करने के उद्देश्य से नया अमेरिकी कानून “यूएस-ताइवान आर्थिक सहयोग के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है”।
निरंकुशता और लोकतंत्र के दोराहे पर दुनिया

पेलोसी ने यहाँ पहुंचकर ये भी कहा “आज दुनिया लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक विकल्प को खोज रही है।” पेलोसी ने कहा कि, ताइवान और दुनिया भर में लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए अमेरिका अपनी लोह दृढ़ संकल्प पर कायम है। आज बुधवार दोपहर को पेलोसी के कई मानवाधिकार नेताओं के साथ चर्चा करने की भी संभावना है। पूरी यात्रा चीन की ओर से सख्त से सख्त चेतावनियों की पृष्ठभूमि के खिलाफ हो रही है, जो ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है। चीन ने ताइवान के पास सैन्य अभ्यास की घोषणा करते हुए, स्पीकर की यात्रा की कड़े शब्दों में निंदा की है।
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ताइवान समर्थक मानी जाती हैं पेलोसी

डेमोक्रेटिक कांग्रेसनल प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुँचीं पेलोसी ताइवान के मामले में चीन के ख़िलाफ़ काफ़ी मुखर रही हैं। उनकी छवि ताइवान समर्थक की है।पेलोसी का ताइपेई दौरा अघोषित था। अमेरिका से रवाना होने से पहले उन्होंने अपने प्रतिनिधिमंडल के मलेशिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और जापान जाने की घोषणा की थी लेकिन ताइवान का ज़िक्र नहीं था। इस प्रतिनिधिमंडल में पेलोसी के अलावा अमेरिकी कांग्रेस के पाँच और सदस्य हैं। पेलोसी के ताइवान पहुँचने पर चीन ने कहा कि अमेरिका ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ का उल्लंघन किया है। चीन का कहना है कि अमेरिका ‘वन चाइना पॉलिसी’ को मानता है और यह राष्ट्रपति जो बाइडन की ज़िम्मेदारी थी कि ऐसे दौरे को रोकें। बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इस यात्रा के समर्थन में नहीं बताए जा रहे हैं। हालांकि बाइडने एक प्रेस कान्फ्रेंस में ताइवान की रक्षा करने की अमरीका की प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया है।
‘ताइवान का इस्तेमाल कर रहा है अमरीका’

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, ”अमरीका ताइवान का इस्तेमाल चीन को घेरने की कोशिश में कर रहा है। अमेरिका लगातार ‘वन चाइना पॉलिसी’ को चुनौती दे रहा है। वह ताइवान में अलगाववादियों की आज़ादी की मुहिम को हवा दे रहा है। अमरीका का यह रुख़ आग से खेलने जैसा है और यह बहुत ही ख़तरनाक है। जो आग से खेलेंगे, वो ख़ुद जलेंगे।” चीन ने पेलोसी के ताइवान पहुँचने के बाद कई सैन्य अभ्यास की घोषणा की है। चीन इन सैन्य अभ्यास को ताइवान के आसपास ही अंजाम देने जा रहा है। इस दौरान चीन ताइवान के हवाई क्षेत्र और जल क्षेत्र की सीमा की परवाह नहीं करेगा।
अमरीका के रुख में बदलाव नहीं

चीन की धमकी और तीखी प्रतिक्रिया पर अमरीका ने भी जवाब दिया है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि ताइवान पर अमरीका के रुख़ में कोई बदलाव नहीं आया है।अमेरिका के नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने पत्रकारों से कहा, ”अमेरिका के रुख़ में ‘वन चाइना पॉलिसी’ को लेकर कोई बदलाव नहीं आया है। हमने पहले भी कहा है कि ताइवान की यथास्थिति में किसी भी तरह के एकतरफ़ा बदलाव के समर्थन में हम नहीं हैं। यह बदलाव चाहे जिस तरफ़ से किया जाए। हमने कहा है कि ताइवान की आज़ादी का हम समर्थन नहीं करते हैं।”
ताइवान का है अपना संविधान

चीन और ताइवान के बीच तनाव ऐतिहासिक है। 1940 के दशक में गृह युद्ध के दौरान चीन और ताइवान का विभाजन हुआ था। उसके बाद से ताइवान ख़ुद को स्वतंत्र देश कहता है जबकि चीन स्वायत्त प्रांत के तौर पर देखता है और ज़रूरत पड़ने पर बल पूर्वक मिला लेने की बात करता है। ताइवान का अपना संविधान, लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए नेता और क़रीब तीन लाख सक्रिय सैनिक हैं।
ताइवान को कुछ ही देशों ने मान्यता दी है। ताइवान को ज़्यादातर देश चीन का हिस्सा मानते हैं। अमेरिका का भी ताइवान के साथ आधिकारिक रूप से राजनयिक संबंध नहीं है। लेकिन अमेरिका ताइवान रिलेशंस एक्ट के तहत उसे हथियार बेचता है। उस क़ानून में कहा गया है कि अमरीका ताइवान की आत्मरक्षा के लिए ज़रूरी मदद देगा।
साउथ चाइना सी से नहीं गुजरीं पेलोसी

मलेशिया से SPAR19 विमान से नैंसी पेलोसी मंगलवार की शाम 3.42 बजे ताइपेई के लिए रवाना हुई थीं। फ्लाइट रेडार 24 ट्रैकिंग वेबसाइट के अनुसार, नैंसी पेलोसी की फ्लाइट फिलीपींस होते हुए ताइवान पहुँची और साउथ चाइना सी के रास्ते आने से परहेज किया। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में कहा गया है कि नैंसी पेलोसी को जिस रूट से लाया गया, उसमें टकराव बढ़ने से रोकने और सुरक्षा ख़तरे को ध्यान में रखा गया है। फ्लाइट रेडार 24 वेबसाइट के अनुसार, पेलोसी की फ्लाइट दक्षिण-पश्चिम से ताइवान एयर आइडेंटिफिकेशन ज़ोन में वहाँ के स्थानीय समय के हिसाब से रात में दस बजे पहुँचीं।
दर्जनों समर्थकों ने किया पेलोसी की यात्रा का विरोध

कुछ मिनटों के बाद चीन ने ताइवान स्ट्रेट में Su-35 फाइटर जेट को भेज दिया। इस फाइटर जेट का मिशन क्या है, अभी तक स्पष्ट नहीं है। पेलोसी जब ताइपेई सोंगशान एयरपोर्ट पर उतरीं तो गर्मजोशी से स्वागत हुआ। पेलोसी की आगवानी में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वु और ताइवान में अमरीका की प्रतिनिधि सांद्रा ओउडकिर्क मौजूद थे। इससे पहले दर्जनों चीनी समर्थकों ने पेलोसी के होटल के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था। इनका कहना था कि पेलोसी का दौरा इस द्वीप के लिए आपदा साबित होगा।
लेख लिखकर बताया यात्रा का उद्देश्य, चीन को चेतावनी

ताइवान पहुँचने के बाद ताइवान पहुँचने के बाद पेलोसी ने वॉशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा है। इस लेख का शीर्षक है- ताइवान के लिए अमेरिकी कांग्रेसनल प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मैं क्यों कर रही हूँ? इस लेख की शुरुआत में पेलोसी कहती हैं, ”43 साल पहले अमेरिकी कांग्रेस ने ताइवान रिलेशन एक्ट पास किया था। इस पर तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने हस्ताक्षर किया था। ताइवान रिलेशन एक्ट एशिया पैसिफिक में अमरीकी विदेश नीति का अहम स्तंभ है। यह एक्ट ताइवान के लोकतंत्र के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता को स्थायित्व देता है। इस एक्ट के ज़रिए हम ताइवान से आर्थिक और राजनयिक संबंध को आगे बढ़ाते हैं। इसके अलावा दोनों देशों के साझे मूल्य लोकतंत्र, मानवाधिकार, मानवीय मर्यादा, स्वतंत्रता और स्वशासन भी अहम हैं।”
ताइवान की सुरक्षा के लिए अमरीका प्रतिबद्ध

पेलोसी ने लिखा है, ”अमेरिका ताइवान की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। अगर ताइवान के भविष्य को एकतरफ़ा और जबरन बदला जाता है तो यह वेस्टर्न पैसिफिक के लिए ख़तरा होगा और यह अमेरिका के लिए चिंतित करने वाला होगा। अमेरिका को अपने इस संकल्प को फिर से याद करना चाहिए। हाल के वर्षों में चीन ने ताइवान के साथ नाटकीय रूप से तनाव को बढ़ावा दिया है। पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने अपने फाइटर जेट, पट्रोल बॉम्बर्स और सर्विलांस एयरक्राफ्ट को ताइवान के हवाई क्षेत्र में लगातार भेजा है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का मानना है कि चीन ताइवान को ख़ुद में मिलाने की कोशिश कर रहा है। चीन ने ताइवान के साइबर स्पेस को भी निशाने पर लिया है। हर दिन ताइवान की सरकारी एजेंसियों पर चीन हमला करता है।”
साउथ चाइना सी में बढ़ी चीन की सक्रियता

दूसरी तरफ़ चीन पेलोसी के ताइपेई पहुँचने पर बुरी तरह से भड़का हुआ है। पेलोसी के पहुँचते ही चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी की कई तरह की गतिविधियां शुरू हो गईं। चीन ने उत्तरी, दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिण-पूर्वी ताइवान के जलक्षेत्र और हवाई क्षेत्र में सैन्य अभ्यास की घोषणा की है। पीएलए ईस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता शी यी ने कहा है कि ताइवान में उन लोगों के लिए गंभीर ख़तरा है, जो आज़ादी चाहते हैं। इसके अलावा पीएलए ने छह नो एंट्री ज़ोन घोषित किया है। इसके तहत कोई पैसेंजर प्लेन या शिप ताइवान इन रास्तों से नहीं पहुँच सकते हैं।
चीन में अमरीकी राजदूत को किया गया समन

चीन ने बीजिंग में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स को समन किया है। चीन के उप-विदेश मंत्री शी फेंग ने कहा कि पेलोसी के ताइवान दौरे के गंभीर नतीजे होंगे। बाइडन प्रशासन में यह कोई पहली बार नहीं है कि ताइवान के कारण चीन से इस हद तक तनाव बढ़ा है। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो अमरीका ताइवान का बचाव करेगा। राष्ट्रपति बाइडन ने ताइवान पर अमेरिका के पुराने रुख़ से अलग लाइन लेते हुए यह बयान दिया था।
अमरीकी राष्ट्रपति ने भी दिया ताइवान की रक्षा करने का बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया था कि क्या अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा तो बाइडन ने कहा, ”हाँ, ऐसा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।” लेकिन बाद में व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने अमेरिकी मीडिया से कहा कि इस टिप्पणी को नीति में बदलाव के तौर पर नहीं लेना चाहिए।
अमरीकी न्यूज़ चैनल सीएनएन के टाउनहॉल प्रोग्राम में एक प्रतिभागी ने चीन के कथित हाइपसोनिक मिसाइल परीक्षण की रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए पूछा था कि क्या बाइडन ताइवान की रक्षा को लेकर प्रतिबद्ध हैं? बाइडन चीन की सेना का सामना करने के लिए क्या करेंगे?इन सवालों के जवाब में बाइडन ने कहा था, ”हाँ और हाँ। इसे लेकर निराश होने की ज़रूरत नहीं है कि वे और मज़बूत हो रहे हैं क्योंकि चीन, रूस और बाक़ी दुनिया को पता है कि दुनिया के इतिहास में हमारी सेना सबसे ताक़तवर है।”
ताइवान को बचाने के लिए प्रतिबद्ध

बाइडन से सीएनएन एंकर एंडर्सन कूपर ने एक और सवाल किया था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो क्या अमेरिका मदद के लिए सामने आएगा? इस पर बाइडन ने कहा, ”हाँ, ऐसा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।”

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