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कश्मीर में नार्को-टेरर: पाकिस्तान ने कैसे स्थानीय कश्मीरियों को ही बनाया अपना हथियार

भारतीय सेना और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के खुलासे पर नजर डालें तो पाकिस्तान घाटी के युवाओं को अपना शिकार बना रहा है और आतंकियों को धन मुहैया कर रहा है।
कश्मीर में लगभग 6 लाख लोग ड्रग्स एडिक्ट हैं, जिनमें 17 से 30 वर्ष के युवाओं की संख्या अधिक है। ये जम्मू कश्मीर की आबादी का लगभग 4.6% है।
वर्ष 2015 में, कानून-प्रवर्तन एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर में नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल 708 लोगों को गिरफ्तार किया था। ये संख्या 2020 में बढ़कर 1,672 हो गई।

नई दिल्लीNov 27, 2021 / 04:02 pm

Mahima Pandey

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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देना पाकिस्तान का मुख्य उद्देश्य है। इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है। जिस तरह से हवाला ऑपरेटरों के खिलाफ कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा गंभीर कार्रवाई की गई उसके बाद से पाकिस्तानी एजेंसियों ने घाटी में आतंकवाद को फंड करने के लिए नशीले पदार्थों का इस्तेमाल शुरू कर दिया। पाकिस्तान न केवल कश्मीर में, बल्कि पंजाब में भी यही कर रहा है। कैसे पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अपने उद्देश्य को पूरा करने कश्मीरियों को ही हथियार बना रहा है? जानते हैं विस्तार से:
एम्स और नेशनल ड्रग डिपेनडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (NDDTC) के एक ताजा सर्वे के अनुसार, कश्मीर में लगभग 6 लाख लोग ड्रग्स एडिक्ट हैं, जिनमें 17 से 30 वर्ष के युवाओं की संख्या अधिक है। ये जम्मू कश्मीर की आबादी का लगभग 4.6% है। इस सर्वे पर श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी डॉ. यासिर राथर ने बताया कि जब उनके कॉलेज ने सर्वे किया तो पाया कि कश्मीर के दो जिले अनंतनाग और श्रीनगर में 18000 लोग नशे के शिकार हैं, जिनमें 90% लोग हेरोइन का इस्तेमाल करते हैं। इस सर्वे से स्पष्ट है कैसे पाकिस्तान कश्मीर में ड्रग के नेटवर्क को बढ़ावा दे रहा है।
कैसे कश्मीरी निवासियों को बनाया हथियार

वास्तव में पाकिस्तान स्थानीय निवासियों को अपने नार्को-टेरर के मकसद को पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इसका खुलासा Directorate of Revenue Intelligence (डीआरआई) ने किया था। डीआरआई ने बताया गया कि “हमने पाया है कि कश्मीरी किसानों को विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर में आतंकवादी हिंसा को फंड करने हेतु धन जुटाने के लिए अफीम की खेती करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।” यही नहीं जम्मू-कश्मीर से कई ऐसे लोगों की गिरफ़्तारी की गई है जो धड़ल्ले से ड्रग का कारोबार कर रहे हैं। बीते वर्ष राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक हंदवाड़ा के शाखा प्रबंधक अफाक अहमद वानी को नार्को टेरर मामले में गिरफ्तार किया था। अहमद वानी पर आरोप था कि वो एलओसी के जरिए भारी मात्रा में नशीली दवाओं और अन्य खतरनाक पदार्थों की तस्करी कर रहा था। उसे इससे जो पैसे मिल रहे थे उसका इस्तेमाल कश्मीर घाटी में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों के आर्थिक सहायता देने के लिए किया जा रहा था।
फरवरी 2020 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने गांदरबल में नशीली दवा बेचने के आरोप में एक महिला को गिरफ्तार किया था। ये महिला बोनीबाग इलाके में दुकान चलाती थी और इसी दुकान से 400 ग्राम चरस और 422,750 रुपये बरामद किए गए थे।
पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के उन गावों के निवासियों का इस्तेमाल नशे की तस्करी के लिए कर रहा है जो सीमा से पास हैं, और जिनके रिश्तेदार पाकिस्तान और pok के अलग अलग गावों में रहते हैं। पाकिस्तान पहले ऐसे लोगों की पहचान करता है, फिर उनसे संपर्क कर उन्हें नशे का कारोबार करने के लिए या तो लालच दे रहा या मजबूर कर रहा है। उदाहरण से समझिए, 11 जून 2019 में सुरक्षाबलों ने कुपवाड़ा से 3 आतंकियों को पकड़ा था जिनमें से एक आरोपी मोमिन पीर का मामा पाकिस्तान में रहता है। उसके कई रिश्तेदार अलगाववादी हैं। इन आतंकियों के पास से 100 करोड़ का ड्रग भी मिला था। इसके अलावा हेरोइन कि सप्लाई के लिए सबसे अधिम इस्तेमाल नालों का किया जा रहा है।

पाकिस्तान ने 150 से अधिक रास्तों का किया इस्तेमाल

ताजा रिपोर्ट्स में सामने आया है कि पिछले तीन वर्षों में नशा तस्करी के लिए पाकिस्तान ने 150 से अधिक रास्तो का इस्तेमाल किया है, जबकि 30-40 और नए रास्ते तस्करी के लिए तलाशे जा रहे हैं। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला, राजोरी और पुंछ जिले कि सीमा का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। पंजाब से जम्मू कश्मीर में शीले पदार्थों की एंट्री सबसे अधिक पाई गई है। अब तक पाकिस्तान से लगभग तीन हजार करोड़ कि हेरोइन भारत में भेजी गई है। कई बार ड्रोन का प्रयोग कर नशे का कारोबार कर रहा है और इससे मिलने वाले पैसों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।
कब कब पाकिस्तान से आया ड्रग ?

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में वर्ष 2015 में 72.07 किलोग्राम हेरोइन जबक किए गए थे। वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर प्रदेश पुलिस ने 200 किलोग्राम से अधिक हेरोइन, वर्ष 2020 में 152 किलोग्राम हेरोइन और 49 किलोग्राम ब्राउन शुगर बरामद किया थे। जम्मू कश्मीर में दस में से दो जिलों में यदि प्रतिदिन 3.5 करोड़ रुपये ड्रग्स पर खर्च किए जाते हैं, तो पूरी घाटी के लिए ये आंकड़ा करीब 500 करोड़ प्रतिदिन के पड़ेगा। इससे होने वाली कमाई का 20 फीसदी हिस्सा आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है और बाकी पैसे इस तस्करी में शामिल लोगों को दिए जाते हैं। जम्मू-कश्मीर में नार्को-टेरर सुरक्षा एजेंसियों और आम लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुलिस को नार्को टेरर के खिलाफ बड़ी कामयाबी तब मिली जब नेशनल हाईवे पर झाझर कोटली से 52 किलो हीरोइन बरामद की। इसके साथ ही इस वर्ष सुरक्षाबलों ने जो ड्रग्स पकड़े हैं उनपर नजर डाल लेते हैं:
सबसे अधिक युवाओं को बनाया जा रहा नार्कों टेरर का शिकार

संयुक्त राष्ट्र ड्रग कंट्रोल प्रोग्राम (यूएनडीसीपी) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर घाटी में लगभग 70 हजार लोगों को नशे की लत है। हाल ही में सामने आये एम्स और नेशनल ड्रग डिपेनडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (NDDTC) के एक सर्वे की मानें तो बेरोजगारी और लॉकडाउन के कारण 15 से 30 साल के लोग नशे के दलदल में फंसते चले गये। इसमें सबसे बड़ी चिंता का विषय ये है कि 90% ड्रग का उपयोग करने वालों में से 17 से 30 वर्ष के ही युवा हैं। हालांकि, ये भी एक तथ्य है कि कश्मीरी युवाओं में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की यह खतरनाक प्रवृत्ति का कारण कश्मीर में लंबे समय तक चले संघर्ष, बेरोजगारी या पारिवारिक/सामाजिक मुद्दों से उनके मन पर पड़े बुरे प्रभाव हैं।
भारतीय सेना और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के खुलासे पर नजर डालें तो पाकिस्तान युवाओं को अपना शिकार बना रहा है और आतंक को बढ़ावा देने के लिए आतंकियों को धन मुहैया कर रहा है। वर्ष 2015 में, कानून-प्रवर्तन एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर में नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल 708 लोगों को गिरफ्तार किया था। ये संख्या 2020 में बढ़कर 1,672 हो गई।
जम्मू-कश्मीर में नार्को-टेरर सुरक्षा एजेंसियों और आम लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। पाकिस्तान न केवल आतंकवादियों को सीमा पार से भेज रहा है, बल्कि नशीले पदार्थों को हिमालयी क्षेत्रों में धकेल रहा है। पाकिस्तान का उद्देश्य साफ है, भारत में संघर्ष को जारी रखे और जम्मू कश्मीर को ड्रग तस्करों और नशा करने वालों के लिए अनुकूल बनाया जाए। पाकिस्तान के ड्रग माफिया का छद्म युद्ध में शामिल होना भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है।
इससे ये भी स्पष्ट है कि नफरत फैलाने कि मंशा रखने वाले कश्मीरियों को शांति से रहने देना नहीं चाहते । नार्को टेरर के खतरे पर गृह मंत्री अमित शाह ने जुलाई में कहा था, ‘भारत को नार्को-आतंक के रूप में एक और खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इससे कमाए गए पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद में किया जाता है और इस पर भी रोक लगाने की जरूरत है। हमारी आने वाली पीढ़ी को नष्ट किया जा रहा है।’
केंद्र सरकार सहित जम्मू कश्मीर प्रशासन घाटी में नार्को टेरर के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं, परंतु स्थानीय लोगों के कारण इसपर पूरी तरह काबू करना मुश्किल हो गया है।

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