विरोध कर रहे 19 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान में क्या कहा?
विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान में कहा, “जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं। हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।”
सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही हैः विपक्षी दल
विपक्षी दलों ने बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।
संविधान के अनुच्छेद 79 का दिया हवाला
बयान में कहा गया है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है। संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देश की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।
राहुल गांधी की अयोग्यता पर भी उठाए सवाल
विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।
इन विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह से किया किनारा
नए संसद भवन के उद्घाटन से खुद को दूर करने वालों में कांग्रेस के अलावा एनसीपी, टीएमसी, आप, द्रमुक, भाकपा और माकपा, शिवसेना गुट (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे। हालांकि बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है।
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ओवैसी बोले- न राष्ट्रपति न प्रधानमंत्री, स्पीकर करें उद्घाटन
इधर विपक्षी दलों के विरोध पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों को ही नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करना चाहिए। ओवैसी के मुताबिक प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यपालिका का हिस्सा हैं, जिस वजह से नए संसद भवन का उद्घाटन स्पीकर को करना चाहिए।
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि अगर प्रधानमंत्री नए संसद भवन का उद्घाटन करते हैं तो हम उस समारोह में शामिल नहीं होंगे। स्पीकर के उद्घाटन करने पर ही AIMIM कार्यक्रम में शिरकत करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री को इस वक्त इससे पीछे हट जाना चाहिए।
अमित शाह बोले- हर चीज में राजनीति नहीं करनी चाहिए
विपक्षी दलों के विरोध पर सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हर मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए। अमित शाह ने कहा, ‘‘राजनीति को इसके साथ मत जोड़िए। एक बड़ी भावनात्मक प्रक्रिया है कि पुरानी परंपराओं से नए भारत को जोड़ने की। इसको इतने ही सीमित अर्थ में देखना चाहिए। राजनीति अपनी जगह चलती है। सब अपनी सोचने की क्षमताओं के अनुसार रिएक्शन देते हैं और काम करते हैं।”
64500 वर्ग मीटर में फैला है नया संसद भवन, 1124 सांसदों के बैठने की व्यवस्था
नए संसद भवन का क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है। नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था। नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं। टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।
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