वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने एक्स पर लिखा, “प्रधानमंत्री की तरह, हमने यह तो ट्रैक नहीं किया है कि किस नेता ने किस महीने में क्या खाया लेकिन पोषण से जुड़े इन डेटा प्वाइंट्स को हम ज़रूर ट्रैक कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में एनीमिया के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। एनीमिया के कई कारण हैं, जिनमें आयरन की कमी, अपर्याप्त आहार और अन्य पोषक तत्वों की कमी शामिल है। 2015-16 और 2019-21 के बीच 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ गया। 15 से 19 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 9.2% बढ़ी है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में, पांच साल से कम उम्र के दस में से आठ बच्चे एनीमिया से पीड़ित पाए गए हैं।”
उन्होंने आगे लिखा, “मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के लिए नाश्ते को शामिल करने की एक 4000 करोड़ रुपए की योजना को वित्त मंत्रालय ने धन की कमी बताकर वीटो कर दिया था। ग्लोबल हेल्थ इंडिकेटर (GHI) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में बच्चों में वेस्टिंग दर 18.7% है, जो इसके सूचकांक में शामिल देशों में सबसे अधिक है। बच्चों में बौनेपन (उम्र के हिसाब से बेहद कम लंबाई) की दर 35.5% है, जो दुनिया में 15वें नंबर पर सबसे अधिक है। मोदी सरकार के कार्यकाल में कुपोषण की स्थिती बेहद गंभीर बनी हुई है, और कई इंडीकेटर्स के अनुसार यह और भी बदतर होती जा रही है।”
रमेश ने पीएम पर निशाना साधते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री अपनी बीमार मानसिकता का हर रोज़ एक नया उदाहरण पेश करते हैं। अब वह खाने की बातों को लेकर भी द्वेष फैला रहे हैं? पहले चरण के मतदान से एक सप्ताह पहले, भाजपा बड़ी मुश्किल से एक घोषणापत्र समिति बना पाई है। इस बीच कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है, हर घर में गारंटी कार्ड के वितरण के लिए घर-घर गारंटी अभियान शुरू की जा चुकी है और इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट एवं डिजिटल हर माध्यम से हमारा विज्ञापन कैंपेन शुरू हो चुका है। हम एजेंडा तय कर रहे हैं और अपना संदेश जनता तक पहुंचा रहे हैं। हताश और निराश प्रधानमंत्री मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हर दिन कुछ न कुछ नया तरीक़ा ढूंढते रहते हैं।”