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जाधव मामले पर भारत – पाक आमने सामने, अब नकारी भारत की 14 वीं अपील

अजीज ने भारत के इस दावे की भी निंदा की कि जाधव एक पूर्व नौसैनिक हैं और उन्हें ईरान से अगवा किया गया। इसकी बजाय अजीज ने दावा किया कि जाधव भारतीय नौसेना के सेवारत अधिकारी हैं।

Apr 14, 2017 / 06:45 pm

पुनीत कुमार

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भारतीय नागरिक और पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को कथित रुप से जासूसी के आरोप में फांसी की सजा देने के मामले में पाकिस्तान अपना रवैये पर अड़िग है। अब इसके बाद भारतीय नागरिक जाधव से मिलने की अनुमति भारतीय उच्चायोग को नहीं दिया।
पाकिस्तन में भारत के उच्चायुक्त गौतम बम्बावाले ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा 14वीं बार हुआ, जब पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग के इस अनुरोध को खारिज कर दिया। पाकिस्तान की विदेश सचिव तहमीना जांजुआ से मुलाकात के बाद बम्बावाले ने कहा कि हमने जाधव से मुलाकात का अनुरोध किया था, लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली।
भारत ने यह भी कहा कि उसने इससे पहले भी 13 बार जाधव से मुलाकात का अनुरोध किया था, जिसे पाकिस्तान ने हर बार खारिज कर दिया। पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी के मामले में पूछे जाने पर, जिन्हें कथित तौर पर नेपाल के लुंबिनी से पिछले सप्ताह अगवा कर लिया गया, बम्बावाले ने कहा कि उन्हें इस मामले की ‘कोई जानकारी नहीं है। 
उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल हबीब जहीर की गुमशुदगी के बारे में पाकिस्तान की सेना से सवाल किया जाना चाहिए। उन्हें उनके ठिकानों के बारे में बेहतर जानकारी होगी। तो वहीं इससे पहले पाकिस्तान की विदश नीति मामलों के प्रमुख सरताज अजीज ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जासूसी के मामलों में राजनयिक पहुंच नहीं प्रदान किया जा सकता। उनका कहना कि भारत को इस मुद्दे पर ‘शब्दाडंबरपूर्ण बयानों’ को लेकर चेताया भी। उनका कहना कि जाधव को कानून के मुताबिक सजा दी गई है। 
अजीज ने भारत के इस दावे की भी निंदा की कि जाधव एक पूर्व नौसैनिक हैं और उन्हें ईरान से अगवा किया गया। इसकी बजाय अजीज ने दावा किया कि जाधव भारतीय नौसेना के सेवारत अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की बयानबाजी शब्दाडंबरपूर्ण है कि उसे ईरान से गिरफ्तार किया गया। 
अजीज ने कहा कि वह पाकिस्तान में विध्वंसकारी गतिविधियों में संलिप्त था और उसके पास दो पासपोर्ट थे, जिसका जवाब भारत नहीं दे रहा। साथ ही कहा कि जाधव के पास सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करने का अधिकार है। साथ ही पाकिस्तान की सेना और राष्ट्रपति के पास भी 40 दिनों के भीतर दया याचिका देने का अधिकार है।
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गौरतलब है कि जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने 10 अप्रैल को देश में जासूसी व विध्वंसकारी गतिविधियों के आरोप में मौत की सजा सुनाई। जिसके बाद भारत ने इस मुद्दे पर सख्त तेवर अपनाते हुए कहा है कि यदि पाकिस्तान जाधव को सुनाई गई मौत की सजा पर अमल करता है तो यह सुनियोजित हत्या होगी।

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