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EVM पर सवाल उठाने वालों को चुनाव आयोग देगा चुनौती, सवाल करने वाले नेता तय दिन पर बुलाए जाएंगे

ईवीएम को लेकर छिड़े विवाद के बीच चुनाव आयोग इन मशीनों को अचूक साबित करने के लिए खुली चुनौती देने जा रहा है।

Apr 05, 2017 / 10:11 am

Abhishek Pareek

ईवीएम को लेकर छिड़े विवाद के बीच चुनाव आयोग इन मशीनों को अचूक साबित करने के लिए खुली चुनौती देने जा रहा है। सूत्रों के अनुसार आयोग जल्द ही इसके लिए तारीख तय करेगा। 

चुनौती उन्हें आमंत्रित करेगी जिन्होंने इस पर सवाल उठाए हैं। इनमें राजनीतिक दलों के नेता भी हैं। ईवीएम के मुद्दे पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और चुनाव आयोग के बीच विवाद चल रहा है। केजरीवाल ने चुनौती दी थी कि यदि उन्हें 72 घंटे का समय दे दिया जाए तो वह साबित कर देंगे कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है। 
उन्होंने मप्र के भिंड में ईवीएम वीवीपीएटी मशीन से किसी भी बटन को दबाने पर भाजपा की पर्ची निकलने के विवाद पर भी चुुनाव आयोग से शिकायत की थी। इससे पहले पांच राज्यों में हुए चुनाव के नतीजे आने पर बसपा प्रमुख मायावती ने ईवीएम से छ़ेड़छाड़ के आरोप लगाए थे। केजरीवाल ने भी उनका समर्थन किया था। उनके इस हमले के जवाब में चुनाव आयोग के उनको सख्त पत्र लिखकर कहा था आम आदमी पार्टी को इस बात पर विचार करना चाहिए कि पंजाब में उनकी पार्टी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन क्यों नहीं कर सकी।
फुलप्रूफ ईवीएम का प्रस्ताव

8 अक्टूबर 2010 को चुनाव आयोग ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। ईवीएम में छेड़छाड़ न हो, इसलिए वीवीपीएटी का प्रस्ताव दिया था।

21 जून, 2011 को आयोग ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया। 
26 जुलाई, 2011 में इसका फील्ड ट्रायल तिरुवनंतपुरम, लद्दाख, चेरापूंजी, पूर्वी दिल्ली और जैसलमेर में किया गया।

छेड़छाड़ का दावा

मई 2010 में अमरीका के मिशिगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उनके पास भारत की ईवीएम को हैक करने की तकनीक है। हालांकि, चुनाव विशेषज्ञों ने इसे खारिज कर दिया था।
खासियत…

अनपढ़ वोटर भी चुनाव चिन्ह के आगे लगे बटन को दबा कर वोट डाल सकें। 

6 वोल्ट की अल्केलाइन बैटरी, जो बिजली न होने पर ईवीएम को चालू रखती है।

ईवीएम मेंं 10 वर्षों के परिणामों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
कई देशों में भारतीय ईवीएम 

नेपाल, नामीबिया, केन्या, भूटान, फिजी।

2019 चुनाव में वीवीपीएटी 

वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है। ईवीएम में लगे शीशे की स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है। सबसे पहले इसका इस्तेमाल नगालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ। चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया किया अगले चुनाव यानी 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपीएटी का इस्तेमाल किया जाएगा। 

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