दरअसल, ये मामला 50 किलो नींबू के घोटाले से जुड़ा है। कपूरथला मॉडर्न जेल के सुपरिटेंडेंट गुरनाम लाल ने हिसाब में 50 किलो नींबू की खरीद दिखाया था, लेकिन कैदियों को खाने में नींबू नहीं दिया जा रहा था। जब जेल मंत्री जेल के निरीक्षण के लिए गए तो कैदियों ने राशन व सब्जी में गड़बड़ी की शिकायत की। इसके बाद पंजाब के जेल, खनन और पर्यटन मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने इस मामले पर संज्ञान लिया और नींबू के स्टॉक और बिल के जांच के आदेश दे दिए।
शिकायत के बाद औचक निरीक्षण के लिए डीजीपी (जेल) वीरेंद्र कुमार ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को भी जेल भेजा था। जांच में जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को पता चला कि नींबू के बिल फर्जी थे। जेल के कैदियों को खाने में कभी नींबू दिया ही नहीं गया। यही नहीं नींबू के अलावा राशन में भी गड़बड़ी पाई गई है।
जेल में खाना भी घटिया और अपर्याप्त दिया जा रहा था। जेल में हर एक रोटी का वजन 50 ग्राम से कम था जो इस बात का संकेत है कि आटे की सप्लाइ में भी गड़बड़ी हो रही थी। यहाँ तक कि सब्जियों की खरीद में भी गड़बड़ी पई गई है।