रेलवे ने पीआरएस काउंटर से हो रही टिकट बुकिंग में नकदी की दिक्कत से बचने के लिए टिकट कैंसिलेशन में 5000 या इससे ज्यादा की रिफंड को संबंधित व्यक्ति के खाते में देने का फैसला किया है। इससे पहले 10 नवंबर को खाते में रिफंड की लिमिट 10000 से ज्यादा की थी।
इस घोषणा की ये हैं वजह- ज्यादातर लोग टिकट बुकिंग के लिए 500 और 1000 रुपये के नोट लेकर ही आ रहे हैं। इस वजह से रेलवे काउंटर को नकदी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि जो लोग अपने काले पैसे को सफेद करने की उम्मीद में रेलवे में टिकट बुक कराना चाह रहे हैं तो ऐसे लोगों को रोकने के लिए यह फैसला किया गया है।
नोटबंदी के बाद बुकिंग >8 तारीख को टिकट की कुल बुकिंग 109.5 करोड़ की हुई थी इसमें PRS बुकिंग 45 करोड़ रुपये की थी। >9 तारीख को नोट बंदी के तहत रेलवे पुराने नोट ले रहा था इस वजह से तमाम जगहों पर लोगों ने कुल 126.8 करोड़ रुपये की टिकट बुकिंग की, इसमें 67.4 करोड रुपये की टिकट पीआरएस के जरिए बुक कराई गई थी।
> 10 तारीख को 126.2 करोड़ रुपये की टिकट बुकिंग कराई गई और इसमें से पीआरएस के जरिए कराई गई बुकिंग 59.55 करोड़ रुपये की थी। >11 तारीख को 110 करोड़ रुपये की धन राशि की टिकट बुकिंग हुई इसमें पीआरएस काउंटर पर बुकिंग महज 45.9 करोड़ रुपये की रही।
>12 तारीख को रेलवे की टिकट बुकिंग का आंकड़ा महज 98 करोड़ रुपये का ही रहा इसमें पीआरएस काउंटर पर बुकिंग और गिर कर 37 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। >13 तारीख को रेलवे की टिकट बुकिंग 79 करोड़ रुपये की रही और पीआरएस काउंटर पर बुकिंग घटकर सिर्फ 23 करोड़ रुपये की रह गई।
>14 तारीख की बात करें तो इस दिन कुल टिकट बुकिंग 106 करोड़ रुपये की हुई जिसमें पीआरएस टिकट बुकिंग 44 करोड़ रुपये की रही। रेलवे की इस घोषणा के बाद पड़ा प्रभाव
सरकार के साथ ही रेलवे को भी समझ में आने लग गया कि कुछ लोग काले पैसों को सफेद में बदलने के लिए ज्यादा टिकट बुक करा रहे हैं। इस वजह से रेलवे ने यह फैसला लिया। रेलवे के इस फैसले रेलवे के टिकट के जरिए अपने काले धन को सफेद बनाने की फिराक में लगे लोग हताश हो गए।
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