भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने बुधवार को मॉनेटरी पॉलिसी जारी की है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही ब्याज दरों में यह 6वीं बढ़ोतरी है। रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी हो गया है। मॉनेटिरी पॉलिसी के 6 में से 4 सदस्य रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में रहे।
आरबीआई गवर्नर ने पॉलिसी की घोषण करते हुए कहा कि महंगाई में नरमी आई है और इसके आउटलुक पर MPC की नजर है। रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI पर पड़ेगा। देश में महंगाई काबू में आने के बाद भी आरबीआई ने दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया है।
आरआईबी ने बीते साल 2022 के आखिर तक एक के बाद एक पांच बार रेपो रेट को बढ़ाकर 6.24 फीसदी कर दिया था। इसमें आखिरी बार बढ़ोतरी दिसंबर 2022 हुई थी। उस समय एमपीसी की बैठक के बाद ब्याज दरों में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एक साल में ही आरबीआई ने रेपो रेट में कुल 225 बेसिस प्वाइंट या 2.25 फीसदी की वृद्धि की थी।
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आरबीआई द्वारा निर्धारित रेपो रेट सीधे बैंकों के लोन पर असर पड़ता है। यदि इसकी दरें बढ़ती हैं तो होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन सभी तरह का लोन महंगा हो जाएगा। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। रेपो रेट के कम होने से लोन की EMI घट जाती है। वहीं रेपो रेट में इजाफा होने से सभी तरह का लोन महंगा हो जाता है।