2015: मार्च 2015 में भाजपा ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में पहली बार सरकार बनाई।
2018: भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटा। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग की।
1951: जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का गठन किया गया। सभी सदस्य जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन पीएम शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी से थे।
1952: जम्मू-कश्मीर संविधान सभा में कश्मीर के नेताओं ने केंद्र सरकार के साथ चर्चा की। इसमें केंद्र और राज्य के संबंधों को लेकर ‘दिल्ली समझौता’ भी हुआ।
1954:तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली समझौते में सहमत शर्तों को लागू करने के लिए राष्ट्रपति आदेश जारी किया। राष्ट्रपति के आदेश ने जम्मू और कश्मीर को क्षेत्रीय अखंडता की गारंटी दी और अनुच्छेद 35ए पेश किया जो जम्मू और कश्मीर के स्थायी नागरिकों को विशेष अधिकार प्रदान करता है।
1956: जम्मू-कश्मीर ने साल 1956 में खुद को भारत का अभिन्न अंग घोषित कर दिया और अपना संविधान अपनाया।
1975: इंदिरा गांधी और शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें आर्टिकल 370 और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को भारत के अभिन्न अंग के रूप में फिर से पुष्टि की गई।
1980-90: आतंकी गतिविधियों से जूझती घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन।
2019: सरकार की ओर से पेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 विधेयक को संसद व राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा हट गया। अधिनियम से जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- ‘जम्मू और कश्मीर’ और ‘लद्दाख’ में विभाजित कर दिया गया।
2023: सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है।
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