आपको बता दें कि पिछले साल ब्रिक्स समिट के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को लेकर 40 हजार करोड़ रुपए के अहम रक्षा डील हुए थे। जिसका एक बड़ा फायदा एस-400 मिसाइल सिस्टम को मिल सकता है। इसके अलावा दोनों देशों ने एक साथ मिलकर एयरक्राफ्ट और ऑटोमोबाइल्स के क्षेत्र में सहयोग देने पर अपनी सहमति जताई है।
एस-40 मिसाइल की सबसे खास बात यह है कि यह दुश्मन देश के 36 न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों को एक समय में टारगेट कर उन्हें भेदने में माहिर है। एस-400 मिसाइल को लेकर रूसी डिप्टी प्राइम मिनिस्टर दिमित्री रोगोजिन ने बताया कि भारत को एंटी एयरक्राफ्ट एस-400 मिसाइल देने की तैयारी काम शुरु हो गया है। तो वहीं बताया कि फिलहाल डील पूरी होने में कितना समय लगेगा, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस डील को लेकर अभी इसके टर्म्स और कंडीशन्स पर बातचीत की जा रही है। इस दौरान दोनों देशों के बीच कामोव-226 मिलिट्री हेलिकॉप्टर और जंगी जहाज बनाने पर भी समहति जताई गई। अगर एस-400 की खासियत की बात करें तो यह मिसाइल 400 किमी दूर से आ रहे लक्ष्य को ट्रैक कर भेदने में माहिर है। साथ ही इसके जरिए भारतीय सेना को काफी फायदा पहुंचेगा।
गौरतलब है कि पीएम मोदी के रूस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा डील समेत 5 अहम समझौते हुए हैं। जिसमें तमिलनाडु के कुडनकुलम में स्थित परमाणु उर्जा संयंत्र की इकाई 5 और 6 के निर्माण को लेकर अहम करार भी शामिल है। जहां रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि दोनों देशों के बीच का रिश्ता आपसी विश्वास पर आधारित है।