सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम. आर. शाह तथा जस्टिस ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने एक सरकारी कर्मचारी द्वारा दायर की गई एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। अपील में कोर्ट से प्रार्थना की गई थी कि वह कर्मचारी की जन्मतिथि में बदलाव करने का आदेश दे। इस संबंध में एक अपील हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी जिसे खारिज कर दिया था जिसके बाद इस अर्जी को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नाटक राज्य सेवक (आयु का निर्धारण) अधिनियम, 1974 द्वारा कर्नाटक सरकार के कर्मचारियों की आयु का निर्धारण किया जाता है। इसके अनुसार कर्मचारी नौकरी शुरू करने के शुरूआती तीन वर्षों के अंदर अपनी जन्म तिथि बदलवाने के लिए अप्लाई कर सकता है। परन्तु अपीलकर्ता ने ऐसा नहीं किया है।
कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी ने अपनी जन्म तिथि में बदलाव के लिए अनुरोध सेवा में शामिल होने के 24 वर्ष बाद किया है, इसलिए वह देरी अथवा देरी के आधार पर भी अप्लाई नहीं कर सकता। सरकारी कर्मचारी होने के नाते अपीलार्थी को सरकारी कानूनों का ज्ञान होना चाहिए।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार द्वारा निर्देशित प्रावधानों के दायरे में ही जन्म तिथि बदलने के लिए आवेदन किया जा सकता है। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो ठोस सबूत होने के बाद भी वह अप्लाई नहीं कर सकता। इस तरह के किसी भी आवेदन, वो भी तब जब अपीलार्थी रिटायर होने वाला है, तब किया जाए तो स्वीकार नहीं करने योग्य है।