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पिता के निधन के बाद बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- मां की सहमति जरूरी

देश की सर्वोच्च अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए एक सरकारी कर्मचारी के निधन के बाद उसकी बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत का कहना है कि कोर्ट पिता के निधन पर बेटी को नौकरी देने की वकालत करता है, लेकिन प्रदेश के कानून के मुताबिक ऐसा करने के लिए मां की सहमति जरूरी है।

Apr 06, 2022 / 12:00 pm

धीरज शर्मा

Supreme Court Denied Compassionate Job To Daughter After Father's Death

Supreme Court Denied Compassionate Job To Daughter After Father’s Death

देश की सर्वोच्च अदालत ने एक महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने एक सरकारी कर्मचारी के निधन के बाद उसकी बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से इनकार कर दिया है। अपने फैसले को लेकर कोर्ट ने जो तर्क दिया है उसके मुताबिक कानून पिता के निधन के बाद बेटियों को नौकरी दिए जाने के पक्ष में है। ऐसे में मौजूदा मामले में बेटी अपने पिता की जगह मध्य प्रदेश पुलिस में नौकरी के लिए पात्र भी है लेकिन विधवा मां ने उसे नौकरी दिए जाने की मंजूरी नहीं की है। जो मध्य प्रदेश सरकार के नियमों के मुताबिक जरूरी है। यही वजह है कि कोर्ट ने बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से मना किया है।

यह पूरा है मामला

यह मामला मध्य प्रदेश का है। जहां सरकारी कर्मचारी के निधन के बाद विधवा मां की तरफ से पुलिस विभाग को आवेदन दिया गया था कि अनुकंपा के आधार पर उसके बेटे को सब इंस्पेक्टर की नौकरी दी जाए, लेकिन दिसंबर 2015 में अनफिट होने की वजह से बेटे को नौकरी देने से इनकार कर दिया गया।
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इसके बाद बेटी ने अर्जी दाखिल करके नियुक्ति की मांग की। दरअसल पिता के निधन के बाद बेटी ने मां के खिलाफ प्रॉपर्टी के बंटवारे का केस दाखिल कर रखा है, जो अब तक कोर्ट में पेंडिंग है। यही वजह है कि मां ने बेटी को नौकरी दिए जाने की सिफारिश नहीं की। इस आधार पर विभाग ने भी उसकी अर्जी खारिज कर दी। विभाग के नौकरी की अर्जी खारिज किए जाने के बाद ये मामला एमपी हाईकोर्ट में पहुंचा।


हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस (नॉन गजटेड) सर्विस रूल्स 1997 की धारा 2.2 का हवाला दिया। कोर्ट ने भी बेटी को नौकरी देने का आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।

इस नियम में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद आश्रित पति या पत्नी अगर अनुकंपा के आधार पर नौकरी के योग्य नहीं है या फिर वह खुद नौकरी नहीं चाहते तो अपने बेटे या अविवाहित बेटी की नियुक्ति के लिए सिफारिश कर सकते हैं।


बेटी ने शीर्ष अदालत में दी ये दलील

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां पर बेटी के वकील दुष्यंत पाराशर ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट का 2021 का कर्नाटक बनाम सीएन अपूर्वा जजमेंट है कि शादीशुदा बेटियां भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र हैं।

इस पर जस्टिस अजय रस्तोगी और सीटी रवि की बेंच ने कहा कि शीर्ष अदालत के उस जजमेंट में कुछ गलत नहीं है, लेकिन मौजूदा मामले में मध्य प्रदेश सरकार के नियम आड़े आ रहे हैं। इनमें साफ कहा गया है कि बालिग बच्चे की अनुकंपा नियुक्ति के लिए विधवा मां की सिफारिश जरूरी है। हम इससे अलग नहीं जा सकते। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।

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