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प्रस्ताव के बाद शादी न करना, हमेशा धोखा नहीं- सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court : याचिकाकर्ता के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला किया रद्द कोर्ट ने कहा कि प्रस्ताव के बाद शादी न करना, हमेशा धोखा नहीं। पढ़िए पूरी खबर

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supreme court IPC section 417

सुप्रीम कोर्ट आईपीसी धारा 417

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शादी के प्रस्ताव के बाद शादी न करना तब तक धोखा नहीं कहा जा सकता, जब तक धोखे का इरादा साबित न हो। शादी के प्रस्ताव के बाद भी शादी नहीं करने के कई कारण हो सकते हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता राजू कृष्ण शेडबालकर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को रद्द करने के आदेश दिए। शेडबालकर के खिलाफ एक युवती के परिजनों ने शादी के प्रस्ताव के बाद शादी नहीं करने पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कहा कि विवाह प्रस्ताव शुरू करने और फिर प्रस्ताव वांछित अंत तक नहीं पहुंचने के कई कारण हो सकते हैं। धोखाधड़ी साबित करने के लिए विश्वसनीय सबूत चाहिए। याचिकाकर्ता के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला।

यह है मामला

शिकायत के अनुसार एक युवती के पिता ने याचिकाकर्ता को विवाह के लिए चुना था। बातचीत तय होने के बाद विवाह की तैयारियां शुरू कर दी गईं। युवती के पिता ने मैरिज हॉल बुक करने के लिए 75,000 रुपए एडवांस दे दिए। बाद में याचिकाकर्ता ने किसी और से शादी कर ली। युवती ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था।

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