सिद्धू पर 3 दशक पुराना है रोड रेज का मामला 1. प्राप्त जानकारी के अनुसार, 27 दिसंबर 1988 की शाम नवजोत सिंह सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे। ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर है। उस समय सिद्धू सिर्फ एक क्रिकेटर ही थे। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था। तब इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया। उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
2. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ। सेशन कोर्ट में केस चला।
3. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया। साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए। 4. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते।
5. दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया। हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई। साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया।
6. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। 2007 में सिद्धू फिर अमृतसर से चुनाव जीते।
7. अब सुप्रीम कोर्ट ने सजा बरकरार रखी है लेकिन सजा को एक साल कर दिया है। सिद्धू के पास अब नहीं हैं ज्यादा विकल्प सिद्धू के पास अब इस मामले में सीमित विकल्प ही बचे हैं। ऑल इंडिया बार एसोसिशन के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आदीश अग्रवाल ने पत्रिका को बताया कि एक माह के अंदर सिद्धू के एक पहले एक रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट की उसी बेंच में दायर करना होगा, इसके बाद वे एक क्यूरेटिव पिटीशन डाल सकते हैं। अगर वे ये याचिका नहीं डालते हैं तो उन्हें जेल जाना होगा।
लेकिन अग्रवाल के अनुसार, अब सिद्धू के सामने ज्यादा विकल्प नहीं हैं और उनकी सजा मुल्तवी होना मुश्किल है।