सीबीआई को जांच करके यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि अभियोजन पूरा हो। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की ओर से मुकदमा चलाए जा रहे मामलों में बहुत देरी का हवाला देते हुए अदालती मामलों में एजेंसी की सफलता दर ( Success Rate ) पर डेटा मांगा है।
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Supreme Court का एक और ऐतिहासिक कदम, 12 हाईकोर्ट में जजों के लिए की 68 नामों की सिफारिश इस वजह से नाराज है सुप्रीम कोर्टदरअसल, एक मामले में सीबीआई की ओर से 542 दिनों की देरी के बाद अपील दायर किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त जाहिर की है। यही नहीं सीबीआई की इस देरी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसी के कामकाज और उसके परफॉर्मेन्स का विश्लेषण करने का फैसला किया।
सुप्रीम कोर्ट CBI की परफॉर्मेंस और जांच मामलों को तर्कसंगत अंत तक ले जाने में उसके सक्सेस रेट को भी देखेगी। सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई निदेशक से उसके सामने उन मामलों की संख्या रखने को कहा जिनमें सीबीआई आरोपी को सजा दिलाने में सफल रही।
Supreme Court ने CBI निदेशक को निर्देश दिया है कि वह उन मामलों की संख्या को कोर्ट के सामने रखें, जिनमें एजेंसी ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्टों में अभियुक्तों को दोषी ठहराने में सफल रही।
इस सवाल का जवाब भी मांगा
अदालत ने यह भी पूछा है कि सीबीआई निदेशक कानूनी कार्यवाही के संबंध में विभाग को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि सीबीआई की कुछ जवाबदेही होनी चाहिए।
यह भी पढ़ेंः West Bengal: सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को झटका, डीजीपी की नियुक्ति मामले में याचिका पर सुनवाई से किया इनकार लंबित मामलों की भी देनी होगी जानकारीशीर्ष अदालत ने पहले पाया था कि सीबीआई अपने काम में बहुत लापरवाही कर रही है जिसके चलते अदालतों में मुकदमे दायर करने में बेवजह की देरी होती है। सीबीआई को यह भी ब्योरा देने के लिए कहा गया है कि अदालतों में कितने मामले लंबित हैं और कितने समय से हैं।