यात्रा का आंनद और पुण्य मिलने की कामना करते हुए उन्होंने यात्रियों से आग्रह किया कि वे यात्रा मार्ग को गंदा नहीं करें और पहले से मार्ग पर गंदगी कहीं बिखरी मिले तो मिलकर साफ करें। इससे कैलाश मानसरोवर यात्रा करने का पुण्य ज्यादा मिलेगा। विदेश मंत्री ने कहा कि यात्रा के लिए 4500 लोगों ने आवेदन किया और इनमें से पहले जत्थे के लिए 60 लोगों का चयन किया गया है। इसके लिए उन्होंने लॉटरी निकाली और भाग्यशाली लोगों को इस यात्रा पर जाने का अवसर मिला। इनमें से दो यात्री चिकित्सा के स्तर पर सही नहीं पाए गए इसलिए इस जत्थे में सिर्फ 58 यात्री जा रहे हैं।
सुषमा स्वराज ने कहा कि यात्रा के दौरान मार्ग को साफ रखना सबकी जिम्मेदारी है। हिमालय को गंदा नहीं होने देना है और तीर्थ यात्रा में पवित्रतता ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। गंदगी से प्राकृतिक सौंदर्य बिगड़ता है एवं पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। उन्होंने यात्रियों से अपने लिए मानसरोवर का जल लाने का भी भावुक आग्रह किया।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव तथा कैलाश मानसरोवर यात्रा के संयोजक प्रदीप रावत ने कहा कि इस जत्थे में 58 यात्रियों को शामिल किया गया है और आज रवाना किया गया यह पहला जत्था उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से होकर जाएगा। इस दर्रे से यात्रियों के 18 जत्थे कैलाश मानसरोवर पहुंचेगे। हर जत्थे में 60 यात्री होंगे। यह यात्रा 24 दिन में पूरी होगी और इस दौरान हर यात्री पर करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च आएगा।
उन्होंने कहा कि स्वराज तीन साल से लगातार कैलाश जाने वाले दल को रवाना कर रही हैं और कैलाश मानसरोवर से जुड़ी हर गतिविधि में उत्साह से सक्रिय रहती हैं। पर्यटन मंत्रालय में स्वागत समिति के उपाध्यक्ष उदय कौशिक ने बताया कि इस बार सिक्किम के नाथुला दर्रा से आठ दल रवाना किए जाएंगे। इस मार्ग से तीसरी बार यात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि नाथुला दर्रे से जाने वाले हर जत्थे में 50 यात्री शामिल होते हैं।