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Air India के निजीकरण के बाद, टाटा को करना होगा इन तमाम चुनौतियों का सामना

टाटा ने दर्जनों अधिग्रहण के बाद अब एयर इंडिया को भी खरीद लिया है। अभी तक इनमें से कुछ अधिग्रहण सक्सेसफुल रहे हैं तो कुछ डील टाटा ग्रुप को बहुत नुकसान भी पहुंचाया। ऐसे में एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद जानिए टाटा ग्रुप के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है।

Oct 10, 2021 / 02:41 pm

Arsh Verma

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नाई दिल्ली. 18 हजार करोड़ की बोली लगा कर एयर इंडिया को अब टाटा ग्रुप ने खरीद लिया है। 68 साल के बाद एयर इंडिया एक बार फिर टाटा ग्रुप के हाथ आ गई है। लेकिन अब इस डूबती एयरलाइंस को बचाने के लिए टाटा ग्रुप के सामने तमाम चुनौतियां है। टाटा ग्रुप के इतिहास पर गौर करेंगे तो अब तक इस ग्रुप ने देश और दुनिया में दर्जनों एक्वीजिशन कर रखा है। और यही नहीं टाटा ग्रुप ने कई डूबती कंपनियों को बचाया भी है और आज की तारीख में टाटा मार्केट में अपनी एक कड़क पहचान रखता है।

टाटा ग्रुप वर्तमान में एविएशन सेक्टर में AirAsia India और Vistara की मदद से मौजूद हैं। हालांकि अभी तक ये दो कंपनियां प्रॉफिट मेकिंग नहीं बन पाई हैं। ये दोनों ज्वाइंट वेंचर की कंपनियां हैं और वित्त वर्ष 2020-21 में इनका टोटल लॉस 3200 करोड़ रहा। एअर इंडिया की खरीदने के बाद डोमेस्टिक मार्केट में टाटा ग्रुप एयरलाइन (तीनों कंपनियां) का मार्केट शेयर 25 फीसदी के करीब होगा, इंडिगो इस मामले में मार्केट लीडर है और उसका मार्केट शेयर 57 फीसदी है। एअर इंडिया, विस्तार और एयर एशिया इंडिया के पास कुल 227 एयरक्राफ्ट का फ्लीट है। अकेले इंडिगो के पास 257 विमानों का फ्लीट है। विस्तार के पास ज्यादातर विमानें नैरो बॉडी हैं। हालांकि, एअर इंडिया के फ्लीट में वाइड बॉडी के विमान हैं।
करनी होगी फुल मेंटिनेंस:
आपको बता दें की एअर इंडिया रेंटल के तौर पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च कर रहा था, इसके विमानों का सालों से ठीक से मेंटिनेंस भी नहीं हुआ है। ऐसे में केबिन अपग्रेडेशन, इंजन अपग्रेडेशन समेत कई महत्वपूर्ण बदलाव अब टाटा ग्रुप को करने होंगे।
एअर इंडिया के पूर्व डायरेक्टर एस वेंकट ने पिछले दिनों कहा था कि टाटा ग्रुप अगर एअर इंडिया को खरीदती है तो हर विमान को अपग्रेड करने के लिए उसे 2-5 मिलियन डॉलर खर्च करने होंगे।
एविएशन सेक्टर 2023 से लाभ में आएगा:
कोरोना के कारण पूरी दुनिया में एविएशन सेक्टर पर बुरा असर हुआ है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में ग्लोबल एविएशन सेक्टर को 138 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। 2021 में इसे घटकर 52 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं 2022 में यह घटकर 12 बिलियन डॉलर रह जाएगा, कुल मिलाकर इस महामारी के कारण एविएशन सेक्टर को 200 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होगा। 2023 से इस सेक्टर के प्रॉफिट में आने की पूरी संभावना है।
यहां ग्रुप को उठाना पड़ा नुकसान:
टाटा ग्रुप के अधिग्रहण पर गौर करें तो यह लिस्ट काफी लंबी है। साल 2000 में Tata Consumer ने TETLEY का अधिग्रहण किया था। वह दुनिया की बड़ी बेवरेज कंपनी थी, लेकिन कोका-कोला और पेप्सिको के सामने नहीं टिक पा रही थी।
इसी तरह टाटा केमिकल्स ने इंग्लैंड के Brunner Mond Group का अधिग्रहण किया, 2007 में टाटा ग्रुप ने CORUS का अधिग्रहण किया, यह डील 12 बिलियन डॉलर में हुई थी। 2008 में फाइनेंशियल क्राइसिस, 2016 में कमोडिटी क्राइसिस के कारण टाटा ग्रुप को बहुत नुकसान हुआ। Thyssenkrupp के साथ जब वह ज्वाइंट वेंचर में जाना चाहती थी तो ब्रेग्जिट के कारण मामला बिगड़ गया. हालांकि हाल फिलहाल में कमोडिटी मार्केट में तेजी के बाद टाटा ग्रुप को थोड़ी राहत मिली है।

सफल अधिग्रहण की लिस्ट:
वहीं, 2001 में टाटा ग्रुप ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की मदद से पब्लिक सेक्टर की कंपनी CMC का अधिग्रहण किया, 2004 में VSNL (वर्तमान में टाटा कम्युनिकेशन) ने TYCO का अधिग्रहण किया गया। आज टाटा कम्युनिकेशन का सबमरीन केबल इंटरनेट बाजार में मार्केट शेयर 30 फीसदी है। 2008 में टाटा मोटर्स ने JAGUAR LAND ROVER को खरीदा. वर्तमान में यह कंपनी टाटा मोटर्स के लिए सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करती है।
सुपर ऐप को लेकर टाटा काफी सीरियस:
टाटा ग्रुप सुपर ऐप को लेकर काफी सीरियस है। इसी को लेकर इस साल BIGBASKET में 64 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी गई। इसमें उसका कॉम्पटिशन रिलायंस रिटेल, एमेजॉन और वॉलमार्ट मालिकाना हक वाली फ्लिपकार्ट से है. इस साल कंपनी ने 1MG का भी अधिग्रहण किया है। इस सेगमेंट में उसका मुकाबला रिलायंस मालिकाना हक वाली Netmeds से है।
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