दरअसल वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम से कुछ आपत्तिजनक कंटेन्ट हटाने के लिए कहा था। इनमें कुछ ऐसे भी पोस्ट भी शामिल थे जो कोरोना वायरस से जुड़े थे। पिछले वर्ष जनवरी में आईटी ऐक्ट की धारा 69 A के तहत ही एक ऐसे ट्वीट को हटाने के लिए कहा था जिसमें बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और विनोद कापड़ी भी थे।
फाइनल नोटिस के बाद झुका ट्विटर
केंद्र ने ट्विटर कोआपत्तिजनक कंटेन्ट और अकाउंटस के खिलाफ एक्शन लेने को कहा था लेकिन ट्विटर ने इसमें आनाकानी की। इसके बाद केंद्र ने ट्विटर को फाइनल नोटिस जारी कर दिया था और 4 जुलाई तक का समय दिया था, यदि वो ऐसा नहीं करता है तो इंटरमीडियरी का ‘कवच’ को हटा दिया जाएगा। यदि ऐसा होता तो किसी भी ट्वीट या पोस्ट के लिए सीधी जवाबदेही ट्विटर की बनती। यहाँ तक कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है।
आईटी ऐक्ट की धारा 69 A धारा क्या है? इस धारा के मुताबिक सोशल मीडिया पर कोई भी पोस्ट या अकाउंट जो सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ सकता है या फिर देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ है तो ऐसे पोस्ट और अकाउंट के खिलाफ सरकार एक्शन ले सकती है। ट्विटर ने इस आदेश को तो मान लिया, लेकिन अब इसी आदेश को उसने कोर्ट में चुनौती दी है और इसे अभिव्यक्ति की आजादी यक उल्लंघन बताया है।
वहीं इस मामले पर इन्फॉर्मेशन ऐंड टेक्नॉलजी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा है सोशल मीडिया को जवाबदेही बनाना होगा और सरकार इसी दिशा में प्रयासरत है।