लेकिन इस हमले से सबसे ज्यादा डरने की जरुरत रावलपिंडी में मौजूद आईएसआई के लोगों को होगी। लिहाजा इस कार्रवाई ने अफगानी तालिबान के दुश्मनों को ही खत्म करने का काम किया है। अमेरिका की यह कार्रवाई पाकिस्तानी सरहद से महज 60 किलोमीटर दूर हुई है। ये इलाका ढ्ढस्ढ्ढ की आतंकी गतिविधियों से हमेशा सरगर्म रहता है। इस हमले के जरिए ट्रंप ने यह साफ कर दिया है कि जरूरत पड़ने पर कहीं भी आतंकियों पर धावा बोलने से नहीं चूकेंगे।
अमेरिकी सेना के मुताबिक, स्थानीय समय के अनुसार शाम 7.32 बजे सबसे बड़े गैर परमाणु बम गिराए गए। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कार्रवाई पर खुशी जताई और कहा कि हमें हमारी सेना पर गर्व है। अमेरिका के इस रिएक्शन के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर एक बम पाकिस्तान पर गिराने को कहा।
लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान पर मदर ऑफ ऑल बॉम्ब से हमला कर के इसको बर्बाद किया है। वह अगर इस मिसाइल को पाकिस्तान पर दागता तो एक बार में ही सारी दुनिया की परेशानी हल हो जाती। लोगों ने यहां तक कहा कि हमें उम्मीद है कि अगला निशाना और ज्यादा सटीक होगा और पाकिस्तान ही होगा।
तो वहीं कुछ लोगों ने इस हमले पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, कि अमेरिका हमाशा क्लाइमेंट चेंज की बात करता है लेकिन अब वह लगातार हमले कर रहा है तब उसे क्लाइमेंट चेंज की चिंता नहीं है।
अमेरिका के ‘GBU-43’ करीब 21,000 पाउंड (9,797 किलो) वजनी इस बम को वहां ‘मदर ऑफ ऑल बॉम्ब’ के नाम से जाना जाता है। ये जगजाहिर है कि अफगानी तालिबान के सभी सरगना और उनके परिवार पाकिस्तान के क्वेटा में रहते हैं। लिहाजा ISI को ये चिंता जरूर सताएगी कि क्या ट्रंप के निशाने पर क्वेटा भी होगा?
एक तरफ जहां अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस हमले पर खुशी जाहिर की है तो वहीं अफगानिस्तान ने इस हमले की कड़ी आलोचना की है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा, “मैं अमेरिकी सेना की ओर से घातक गैर परमाणु बम गिराए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं।” उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ नहीं, बल्कि अफगानिस्तानियों के खिलाफ और अमानवीय है।