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डीके शिवकुमार को कर्नाटक CM क्यों नहीं बनाया गया? पढ़ें SWOT एनालिसिस

Karnataka CM : चार दिन की मशक्कत के बाद कर्नाटक का ‘नाटक’ खत्म हुआ। तय हुआ कि सिद्धारमैया CM और डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम होंगे। मुख्यमंत्री की दौड़ में शिवकुमार कहां मात खा गए, पढ़ें इस SWOT एनालिसिस में –

नई दिल्लीMay 20, 2023 / 07:21 am

Giriraj Sharma

सिद्धारमैया vs डीके शिवकुमार, पढ़ें SWOT एनालिसिस

सिद्धारमैया vs डीके शिवकुमार, पढ़ें SWOT एनालिसिस

CM of Karnataka : कर्नाटक कांग्रेस में अब सब कुछ सेट है। ‘फील गुड’ का माहौल है। चार दिन चली लंबी खींचतान के बाद तय हुआ कि सिद्धारमैया CM और डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम होंगे। आज शनिवार, 20 मई को दोनों शपथ ग्रहण करेंगे। CM पद के लिए ये दो ही नाम थे। दोनों ही कद्दावर। एक पूर्व मुख्यमंत्री, दूसरा पार्टी अध्यक्ष। अन्ततः बाजी मारी सिद्धारमैया ने। आम जन के जेहन में सवाल है, DK क्यों पिछड़े? मुख्यमंत्री की दौड़ में शिवकुमार कहां मात खा गए, पढ़ें इस SWOT एनालिसिस में –
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सिद्धारमैया

S STRENGTHS
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में सिद्धारमैया को अधिकांश विधायकों का समर्थन हासिल है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सामने भी कांग्रेस के 135 नए विधायकों में से 90 ने सिद्धारमैया के लिए समर्थन व्यक्त किया।
राज्य की राजनीति में सिद्धारमैया का अनुभव और कद बहुत बड़ा है।
मुस्लिम और कुरुबा समुदायों के बीच अच्छी पैठ के चलते व्यापक समर्थन रखते हैं।
बेदाग छवि, भ्रष्टाचार का कोई केस नहीं।

WWEAKNESSES
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वापस सरकार में लाने में असफल रहे। इसे उनकी नाकामी माना जाता है।

OOPPORTUNITY
सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने से न केवल कांग्रेस विधायकों के बहुमत से, बल्कि अल्पसंख्यक समुदायों से भी कांग्रेस को अधिक समर्थन का अनुमान है।

TTHREAT
सिद्धारमैया को अस्वीकार करना एक जोखिम भरा निर्णय हो सकता था। कुरुबा और मुस्लिम समुदाय पूरे कर्नाटक में फैले हुए हैं, और पार्टी के कई विधायक अपनी सीटों के लिए सिद्धारमैया की लोकप्रियता पर निर्भर हैं। ऐसे में पार्टी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी।

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डीके शिवकुमार

SSTRENGTHS
कांग्रेस के इस कठिन समय में कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की बड़ी जीत का नेतृत्व किया।
राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के नेताओं ने इनका जोरदार समर्थन किया।
सोनिया गांधी के करीबी। पूर्व उनके दाहिने हाथ वाले अहमद पटेल के साथ एक बार काम कर चुके हैं।

WWEAKNESSES
सिद्धारमैया के मुकाबले डीके शिवकुमार के पास केवल 41 विधायकों का समर्थन।
मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी समेत 19 से ज्यादा केस। इस कारण केंद्रीय नेतृत्व कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
हाल ही में सीबीआई के चीफ बनाए गए कर्नाटक के पूर्व डीजीपी प्रवीण सूद से डीके शिवकुमार का 36 का आंकड़ा है।
सिर्फ पुराने मैसूर इलाके में ज़्यादा पकड़।

OOPPORTUNITY
शिवकुमार के नेतृत्व में महत्वपूर्ण लिंगायत वोट बैंक मजबूत हुआ है। कांग्रेस ने 2018 की तुलना में इस बार लिंगायत क्षेत्रों में 28 और सीटें जीतीं।

TTHREAT
शिवकुमार की नाराजगी कांग्रेस के लिए भारी परेशानी का सबब बन सकती है। बहरहाल, CM के नाम को लेकर सोनिया गांधी के दखल के बाद सब ठीक हो चुका है।

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शिवकुमार को सीएम क्यों नहीं बनाया गया?

इसका एक लाइन का जवाब ‘कांग्रेस में ध्रुवीकरण’ है। इस बार चुनाव अभियान के दौरान शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना गया था। लेकिन यह भी एक बड़ा सच है कि सिद्धारमैया को मजबूत जमीनी समर्थन हासिल है। वे सोशल इंजीनियरिंग के भी माहिर खिलाडी हैं। यही वजह रही कि CM का नाम तय करते वक्त सिद्धारमैया एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरे।

अधिकांश विधायकों ने सिद्धारमैया का समर्थन किया। स्थानीय मीडिया सर्वेक्षणों के अनुसार भी उन्हें अधिक जनसमर्थन प्राप्त था। इसके अलावा 75 वर्षीय सिद्धारमैया ने चुनाव से पहले संकेत दिया था कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा। उन्होंने दिल्ली में अगला सीएम बनने का दावा करते हुए भी इस बात पर जोर दिया।

दूसरी ओर शिवकुमार अपनी उम्र को लेकर चिंतित थे। शिवकुमार 61 वर्ष के हैं, जो उन्हें अधिकांश भारतीय मुख्यमंत्रियों से छोटा बनाता है (2022 में इंडियास्टेट के एक विश्लेषण के अनुसार, 30 वर्तमान मुख्यमंत्रियों में से 19 CM 65 से अधिक उम्र के हैं)। पहले उन्होंने अपनी उम्र/युवावस्था को एक एडवांटेज के रूप में पेश किया।

उन्होंने कथित तौर पर 2018 में एक चुनावी भाषण में कहा था, ‘उम्र मेरे पक्ष में है।’ लेकिन अब उन्हें चिंता है कि अगली बार जब राज्य में कांग्रेस सत्ता में होगी तो उम्र उनके साथ नहीं होगी। अगर बीजेपी 2028 का चुनाव जीतती है, तो जब तक उनके पास सीएम बनने का मौका होगा, तब तक वह 70 साल के हो जाएंगे।

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