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उत्तराखंड की महाभारत के ये हैं पांडव, बचाव अभियान से दी श्रमवीरों को नई जिंदगी

Uttrakhand tunnel Meet Rescue Team : उत्तराखंड उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमवीरों को बाहर निकाल लिया गया है। 16 दिन की महाभारत 17वें दिन की सफलता के साथ समाप्त हो गई है।

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उत्तराखंड उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमवीरों को बाहर निकाल लिया गया है। 16 दिन की महाभारत 17वें दिन की सफलता के साथ समाप्त हो गई है। इस बचाव अभियान में कई विभागों के अधिकारियों, कामगारों, विदेशी विशेषज्ञों, राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना सहित कई एजेंसियों ने काम किया। अब हर तरफ हर्ष और उल्लास का माहौल है। ऐसे आइए हम आपको मिलाते हैं जिंदगी की महाभारत में जंग जीतने वाले पांच पांडवों से...

आईएएस नीरज खैरवाल
उत्तराखंड सिलक्यारा सुरंग में बचाव दल का नेतृत्व नीरज खैरवाल ने ही किया। यह सभी एजेसियों के बीच समन्वय का काम कर रह थे। इन्हें ही बचाव कार्य का नोडल अधिकारी बनाया गया था। उत्तराखंड में सचिव पद पर तैनात पीएम मोदी और सीएम मोदी को सीधा रिपोर्ट कर थे।

टनल विशेषज्ञ क्रिस कूपर
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार चाटर्ड इंजीनियर क्रिस कूपर ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सिविल इंजीनियरिंग, बुनियादी ढांचे, मेट्रो सुरंगों, बड़ी गुफाओं, बांधों, रेलवे और खनन में विशेषज्ञता रखते हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त)
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सदस्य सैयद अता हसनैन ने टनल को भेदने और सुरक्षा को लेकर तमाम तरीकों पर अध्ययन और संचालन किया। इसके साथ ही लगातार योजना में बदलाव से सफलता हासिल की। वह 15 कोर जीओसी रह चुके हैं।

सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स
आस्ट्रेलिया से आए अर्नोल्ड डिक्स सुरंग हादसा के बाद से ही डटे रहे। सभी श्रमवीरों को सुरक्षित निकालने के लिए सबसे प्रभावी तरीके के बारे में जानकारी दी। भूमिगत सुरंगों के विशेषज्ञ दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं।

'रैट माइनिंग'
रैट माइनिंग टीम ने सबसे शानदार काम किया। जहां आगर मशीन ने काम करना बंद किया वहीं से इस टीम ने रास्ता खोला और फिर जिंदगी मुस्कुरा रही है। मध्यप्रदेश से आई इस टीम ने 12 मीटर तक हाथों से खुदाई की। इसके बाद ही मजदूर बाहर आ सके।