1 लाख 16 हजार बच्चों की जांच करेगा दल
दस्तक अभियान 10 जून से प्रारंभ हो चुका है। यह अभियान 20 जुलाई तक चलेगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए करीब 128 दल बनाए गए हैं। जो जिले में करीब 1 लाख 16 हजार बच्चों की करीब दस प्रकार से जांच कर उन्हें जरूरत पडऩे पर उपयुक्त उपचार दिलाने के लिए हर संभव कार्य करेगा। पहले दिन करीब 128 गांवों से इसकी शुरूआत हुई। जिसमें घर घर जाकर बच्चों की विभिन्न प्रकार की जांच की गई। इस अभियान के तहत सभी 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों की जांच की जाएगी। जिसमें कमजोर व कुपोषित बच्चे पाए जाने पर उनहें उपचार के लिए पोषण पुर्नवास केंद्र या हायर सेंटर पर रेफर कर उपचार दिलाया जाएगा। इस दल में एनएनएम, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका आदि रहेंगे। इस टीम का हर एक सदस्य एक दिन में 25 ेसे 30 बच्चों की जांच करेगा।
दस्तक अभियान के तहत यह करेगा दल
-समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान, प्रबंधन व रेफर करना।
-5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान करना।
-गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान कर रेफर व प्रबंधन।
-6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन
-5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग के नियंत्रण के लिए ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी समझाईश व प्रत्येक घर में ओआरएस पहुंचाना।
-9 माह से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों को विटामिन एक का अनुपूरण।
-बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान करना।
-गृहभेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत व छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना।
-समुचित शिशु बाल, स्तनपान एवं आहारपूर्ति व्यवहार को बढ़ावा देना।
-एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन।
-बाल मृत्यु विगत 6 माह की जानकारी।
कलेक्टोरेट में हुआ मीडिया कार्यशाला का आयोजन
दस्तक अभियान को लेकर सोमवार को कलेक्टर अजय सिंह गंगवाल की अध्यक्षता में एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सीएमएचओ डॉ एसएस बघेल, जिला कार्यक्रम अधिकारी अर्चना राठौड़, न्यूट्रीशन इंटरनेशनल संभागीय समन्वयक आशीष पुरोहित, जिला टीकाकरण अधिकारी जेपी जोशी आदि उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर कलेक्टर द्वारा मार्गदर्शन दिया गया। इस दौरान सामने आया की टीकारण भी करीब ५६ प्रतिशत ही हुआ है। कलेक्टर ने कहा कि दस्तक अभियान के दौरान होने वाले सर्वे के साथ ही गर्भवति महिलाओं का सर्वे भी किया जाए।
दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर कार्यशाला में चर्चा की । इस अभियान को बेहतर रूप से पूर्ण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को भी मोटीवेट किया है।
-अजयसिंह गंगवाल, कलेक्टर
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-समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान, प्रबंधन व रेफर करना।
-5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान करना।
-गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान कर रेफर व प्रबंधन।
-6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन
-5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग के नियंत्रण के लिए ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी समझाईश व प्रत्येक घर में ओआरएस पहुंचाना।
-9 माह से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों को विटामिन एक का अनुपूरण।
-बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान करना।
-गृहभेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत व छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना।
-समुचित शिशु बाल, स्तनपान एवं आहारपूर्ति व्यवहार को बढ़ावा देना।
-एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन।
-बाल मृत्यु विगत 6 माह की जानकारी।
कलेक्टोरेट में हुआ मीडिया कार्यशाला का आयोजन
दस्तक अभियान को लेकर सोमवार को कलेक्टर अजय सिंह गंगवाल की अध्यक्षता में एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सीएमएचओ डॉ एसएस बघेल, जिला कार्यक्रम अधिकारी अर्चना राठौड़, न्यूट्रीशन इंटरनेशनल संभागीय समन्वयक आशीष पुरोहित, जिला टीकाकरण अधिकारी जेपी जोशी आदि उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर कलेक्टर द्वारा मार्गदर्शन दिया गया। इस दौरान सामने आया की टीकारण भी करीब ५६ प्रतिशत ही हुआ है। कलेक्टर ने कहा कि दस्तक अभियान के दौरान होने वाले सर्वे के साथ ही गर्भवति महिलाओं का सर्वे भी किया जाए।
दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर कार्यशाला में चर्चा की । इस अभियान को बेहतर रूप से पूर्ण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को भी मोटीवेट किया है।
-अजयसिंह गंगवाल, कलेक्टर
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