हजारों लोग कर रहे सरकारी जमीन पर कमाई
– तीन साल बाद चला प्रशासन का डंडा- कहीं खेती हो रही तो कहीं बाड़े बना लिए- दो हजार को जारी किए नोटिस, वसूली शुरू
नीमच. जिले में शासकीय भूमियों पर किस कदर अतिक्रमण हो रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार करीब 2 हजार लोगों को नोटिस जारी कर अर्थदंड वसूली की कार्रवाई की जा रही है। लगभग सभी गावों में सरकारी भूमियों पर कहीं खेती हो रही है तो कहीं पर बाड़े बना दिए गए, कई स्थानों पर पक्के निर्माण भी हो चुके हैं। लेकिन तीन वर्षों बाद अचानक इस प्रकार के वसूली शिविर लगाए जाने से ग्रामीण परेशान भी हो रहे हैं।
२०१४ के बाद वसूली शिविर-
वर्ष २०१४ में अतिक्रमणकर्ताओं पर दंडारोपित कर जुर्माना वसूली के लिए शिविर लगाए गए थे। इसके बाद प्राकृतिक आपदाओं या अन्य कारणों से वसूली शिविर नहीं लगे। तीन वर्ष की अवधि के बाद फिर इस बार अतिक्रमणकर्ताओं का डाटा तैयार किया गया है। अब तक केवल नीमच तहसील क्षेत्र में 2 हजार से अधिक लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। जिनसे दंड की राशि वसूल की जा रही है। जिले में करीब डेढ़ करोड़ रुपए का दंड वसूला जा रहा है। जबकि नीमच तहसील क्षेत्र में लगभग 75 लाख रुपए अर्थदंड वसूली होगी। अब तक तहसील में 20 लाख से अधिक की वसूली की जा चुकी है।
गाइड लाइन के 20 प्रतिशत तक जुर्माने का प्रावधान-
ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और सामान्य लोगों ने जहां अतिक्रमण कर रखे हं वहां कहीं पक्के निर्माण हंै तो कहीं शासकीय जमीनों पर खेती हो रही है। कुछ स्थानों पर बाड़े या अन्य उपयोग भी किए जा रहे हैं। राजस्व की धारा 248 के अधीन जितनी भी शासकीय जमीनों पर अतिक्रमण है उन्हें चिन्हांकित किया जाता है। यदि किसी के द्वारा निर्धारित रकबे के अलावा अतिक्रमण कर सरकारी भूमि पर फसल उपजाई जा रही है तो उसका आकलन कर रिकार्ड पर लिया जाता है। जिससे पहला फायदा यह है कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में जितनी भी भूमि पर चाहे अतिक्रमण क्यों न हो पूरी फसल का आकलन कर मुआवजा तय किया जाता है। अतिक्रमण का निर्धारण होने से यह भी तय हो जाता है कि शासन की किसी भी योजना में इस भूमि का उपयोग किया जा सकता है। पट्टे आवंटित किए जा सकते हैं। इससे शासन को बड़ी आय प्राप्त होती है। अतिक्रमण की भूमि पर संबंधित से गाइड लाइन की दर के अनुसार 20 प्रतिशत तक जुर्माना वसूल करने का प्रावधान है। हालांकि प्रशासन द्वारा व्यक्ति की स्थिति देखकर ही जुर्माना वसूल किया जाता है। अधिकतम जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है। जहां पर सक्षम लोगों के द्वारा अतिक्रमण किए गए हैं वहां पर निर्धारित गाइड लाइन के अनुसार जुर्माना वसूल किया गया है। कनावटी, डूंगलावदा, गिरदौड़ा में ऐसी चार कार्रवाइयां हो चुकी हैं। इस प्रक्रिया में यह भी तय हो जाता है कि चिन्हांकित भूमि दर्ज होने के बाद किसी बड़े प्रोजेक्ट के लिए शासन द्वारा जमीन आसानी से उपलब्ध कराई जा सकती है।
वसूली से किसान हो रहे परेशान-
हालांकि कुछ गावों में अतिक्रमण पर वसूली से ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। गावों में वसूली शिविर लगाकर अर्थदंड वसूल करने की कार्रवाई की जा रही है। मंूडला गांव में हुए वसूली शिविर को लेकर ग्रामीणों ने आपत्ति जताई है। इस संबंध में भाजपा नेता सज्जनसिंह चौहान का कहना है कि प्रशासन नीति नियम से कार्रवाई करे तो परेशानी नहीं है लेकिन मनमाने तरीके से गावों में अर्थदंड वसूली की कार्रवाइयां भी हो रही है। यह उचित नहीं है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराएंगे। एक तरफ किसानों को उपज का वाजिब दाम देने के लिए सरकार भावांतर जैसी योजनाएं ला रही है। किसान दाम के लिए इंतजार कर रहा है, इधर से दाम लाता है तो दूसरी तरफ दंड वसूली में भर रहा है।
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स्वयं के निर्धारित रकबे के अतिरिक्त शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर फसल बोयी जाती है या अन्य उपयोग किया जाता है तो उस पर अर्थदंड का प्रावधान है। चूंकि जमीन भले ही शासकीय है लेकिन उसका उपयोग कर आय अर्जित की जा रही है, इस कारण शासन को अर्थदंड वसूली की पात्रता है। तहसील क्षेत्र में ऐसी भूमियों को चिन्हित कर लगभग 2 हजार से अधिक नोटिस जारी किए गए हैं। प्रक्रिया निरंतर जारी है। शिविर लगाकर नियमानुसार अधिकतम की बजाय बहुत कम अर्थदंड आरोपित किया जाता है। – गोपाल सोनी, तहसीलदार नीमच
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