नीमच. मिट्टी इको फ्रेंडली होती है। इस कारण मिट्टी से बनी हुई प्रतिमाएं विसर्जन करने पर शीघ्र ही पानी में घुल जाती है। जिससे पानी भी दूषित नहीं होता है। इस कारण शहर में पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनजर हर कोई मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं को बनाने व खरीदने की ओर रूख कर रहा है।
इसी के चलते रविवार को भारत विकास परिषद द्वारा आंनद मंगल भवन में मिट्टी द्वारा गणेश की मूर्ति निर्माण का प्रशिक्षण महिलाओं और बालिकाओं को दिया गया। ताकि वे आने वाले ग्यारह दिवसीय गणेशोत्सव पर मिट्टीे से बनी गणेश की प्रतिमाओं की पूजा अर्चना करें। इस अवसर पर शहर से कुल १०५ महिलाएं व बालिकाएं उपस्थित हुई थी। जिन्हें मिनाक्षी यादव द्वारा मिट्टी से गणेश की प्रतिमा बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर करीब २० से २५ किलो मिट्टी लाई गई थी। जिससे गणेश की मूर्ति बनाकर सभी अपने अपने घर ले गए। ताकि इस बार गणेशोत्सव में गणपति बप्पा की स्थापना कर सकें।
शहर सहित अंचलों में शुरू हुई तैयारियां
२५ अगस्त से ५ सितंबर तक चलने वाले गणेशोत्सव की तैयारियां शहर सहित अंचलों में प्रारंभ हो चुकी है। इसी के चलते शहर के चप्पे चप्पे में भगवान गणेश की छोटी से लेकर विशाल प्रतिमाएं इंदौर,
उदयपुर सहित अन्य स्थानों से आई है। मूति विक्रेता ने बताया कि इस बार आधे फीट से लेकर करीब साढे सात फीट ऊंची तक प्रतिमाएं बाजार में बिकने आई है। जो ५१ रुपए से लेकर ९ हजार रुपए तक कीमती है। इसी के साथ शहर के कुछ विशाल पांडलों में भी भगवान गणेश की आकर्षक प्रतिमाएं तैयार हो रही है।
भारत विकास परिषद सचिव मनोज माहेश्वरी ने बताया कि चाईना की सामग्री का बहिष्कार और पर्यावरण सुरक्षा के तहत नि:शुल्क मिट्टी प्रतिमा निर्माण प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परिषद के अध्यक्ष अशोक मंगल, कोषाध्यक्ष शांतिलाल पोरवाल, अशोक अग्रवाल, सुनील सिंहल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि आगामी त्यौहारों से पूर्व भी इस प्रकार के आयोजन करवाएंगे। जिससे चाईना की वस्तुओं का बहिष्कार होकर मिट्टी से बनी प्रतिमाओं और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग बढ़े।
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