चुनाव के पहले करते हैं सौगातों के दावे, जीत के बाद भूल जाते वादे
चुनाव के पहले करते हैं सौगातों के दावे, जीत के बाद भूल जाते वादे
नीमच. चुनाव के पहले सभी प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के लिए बड़ी बड़ी बाते करते हैं। कोई सड़क, कोई पानी तो कोई अन्य समस्याओं को जीतते ही हल करने के दावे करके जाते हैं। लेकिन जैसे ही चुनाव जीत जाते हैं। उसके बाद समस्याओं को दूर करना तो दूर की बात, ग्रामीणों के हाल पूछने भी नहीं आते हैं।
यह कहना है उन ग्रामीणों का जिनके क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों को वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक मत मिले हैं। मनासा विकासखंड के चेनपुरिया ब्लॉक में जहां कांग्रेस के प्रत्याशी विजेंद्रसिंह मालाहेड़ा को सबसे अधिक 635 मत मिले थे। वहीं भाजपा के कैलाश चावला को 157 मत मिले थे। हालांकि विधानसभा चुनाव में जीत कैलाश चावला की ही हुई थी। लेकिन यहां के रहवासी आज भी पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पठार क्षेत्र होने के कारण बारिश और सर्दी में तो जैसे तैसे काम चल जाता है। लेकिन गर्मी में पेयजल संकट एक विकराल रूप धारण कर लेता है। क्योंकि वर्तमान में यहां एक मात्र ट्यूबवेल है। जिससे पानी लेने के लिए ग्रामीणों को करीब १ किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। वहीं गांव में करीब 9-10 हैंडपंप हैं। लेकिन एक दो छोड़कर शेष जवाब दे चुके हैं। ऐसे में भोली भाली जनता अपने आप को ठगा सा महसूस करती है।
इसी प्रकार मनासा विकासखंड के बैंसला में भाजपा को सर्वाधित मत मिले थे। यह विधायक कैलाश चावला को582 मत मिले थे। लेकिन यहां भी ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां सिंचाई के पानी की समस्या सबसे अधिक थी। लेकिन तालाब बनने के बाद वह पूरी हो गई। लेकिन पेयजल संकट अभी भी है। महिलाओं को 500 मीटर दूर पहुंचकर पानी सिर पर उठाकर लाना पड़ता है। इसी बैसला में कांग्रेस प्रत्याशी विजेंद्रसिंह मालाहेड़ा को 182 मत मिले थे। इन दोनों पोलिंग बुथों में से एक में भाजपा को तो एक में कांग्रेस को सर्वाधिक मत मिले हैं। लेकिन उसके बावजूद भी पेयजल संकट जस का तस है।
पठार क्षेत्र में पेयजल संकट पिछले 40 सालों से गहरा रहा है। यहां की महिलाओं को एक किलोमीटर दूर से ट्यूबवेल से जाकर पानी लाना पड़ता है। वहां भी कभी कभार लाईट नहीं होने के कारण समस्या आती है। इसी प्रकार गांव में हैंडपंप भी है। लेकिन मात्र एक दो ही चलते हैं शेष बंद पड़े हैं। जबकि इस गांव में करीब 400 परिवार निवास करते हैं और 1200 मतदाता हैं। लेकिन पेजयल के लिए एक मात्र ट्यूबवेल है। ऐसे में हर दिन ग्रामीणों को मश्क्कत करना पड़ता है।
-लक्ष्मणसिंह चारण, ग्रामीण चेनपुरिया ब्लॉक
बैसला में केवल दो माह की ठीक से पानी मिल पाता है। क्योंकि जो कुए हैं वे सभी तालाब में हैं। इस कारण बारिश में तालाब में पानी भर जाने के कारण कुए भी उसी पानी में डूब जाते हैं। जिससे पानी पीने योग्य नहीं होता है। वहीं गर्मी में पानी नहीं रहता है। ऐसे में सिंचाई तो जैसे तैसे हो जाती है। लेकिन पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को गर्मी और बारिश दोनों मौसम में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
-अमर रावत, व्यवसाई, बैंसला
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