scriptहड़ताल के चलते सैंकड़ों डाक बन सकेती हैं रद्दी! | Hundreds of posts can become junk due to the strike | Patrika News
नीमच

हड़ताल के चलते सैंकड़ों डाक बन सकेती हैं रद्दी!

आजादी के बाद से ग्रामीण डाक सेवक कर रहे हैं दिहाड़ी पर कार्यमांगें पूरी नहीं होने तक जारी रहेगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

नीमचAug 17, 2017 / 01:43 pm

bhuvanesh pandya

patrika

जिला मुख्यालय स्थित मुख्य डाकघर के बाहर प्रदर्शन करते हुए ग्रामीण डाक सेवक।

नीमच। आजादी के ७० साल बाद भी देश के ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) दैनिक वेतन भोगी की तर्ज पर ही काम करने को मजबूर हैं। नियम तो ३ घंटे काम करने है, लेकिन शोषण इतना कि ८ से १० घंटे काम करने को विवश हैं। अस्थाई होने की वजह से जितना वेतन मिल रहा है उससे परिवार का पेट भरना भी मुश्किल है। अब मजबूरी में बुधवार से देश के करीब पौने तीन लाख जीडीएस अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। परिणाम स्वरूप जिले में ही सैंकड़ों महत्वपूर्ण डाक सामग्री के रद्दी बनने की आशंका बढ़ गई है।
मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगी हड़ताल
अखिल भारतीय ग्रामीण डाक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष रतनलाल शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा गठित कमलेश चंद्रा कमेटी ने ग्रामीण डाक कर्मचारियों के पक्ष में अपनी रिपोर्ट तैयार कर पिछले साल नवंबर में प्रस्तुत की थी। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से ग्रामीण डाक सेवकों के पक्ष में कमेटी ने कई सिफारिशें की थी। इनमें कर्मचारियों को नियमित करने, ७वे वेतन आयोग का लाभ देने, पेंशन का लाभ देने आदि प्रमुख थी। इसके आधार पर सरकार ने २४ अप्रैल २०१७ को अखिल भारतीय ग्रामीण डाक कर्मचारी संघ को लिखित में मांगें स्वीकार करते हुए आगामी दो माह में लाभ देने का आश्वासन दिया था। इसके चलते संघ की ओर से प्रस्तावित हड़ताल स्थगित कर दी गई थी। केंद्र सरकार द्वारा लिखित आश्वासन दिए जाने के ४ माह बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसके चलते की राष्ट्रव्यापी हड़ताल प्रारंभ की गई है।
प्रतिमाह खोलना पड़ते हैं १०० खाते
अखिल भारतीय डार्क कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष रतनलाल शर्मा ने बताया कि आज जीडीएस की दैनिक वेतन भोगी से भी बदतर नौकरी हो गई है। दैवेभो से निर्धारित समयावधि का ही काम लिया जाता है। उसे कलेक्टर द्वारा निर्धारित दर से वेतन का भुगतान किया जाता है। किसी प्रकार का न तो टारगेट होता है और न ही जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इसके उलट ग्रामीण डाक सेवकों का आजादी के बाद से खुलेआम शोषण किया जा रहा है। नियमानुसार ग्रामीण डाक सेवकों के दिन में ३ से ४ घंटे की काम के लिए निर्धारित किए गए हैं। इसके बदले काम लिया जा रहा है ८ से १० घंटे। इसके बाद भी देश के पौने तीन लाख जीडीएस आजादी के बाद से आज तक अस्थाई रूप से ही सेवाएं दे रहे हैं। इतना ही नहीं प्रति जीडीएस को गांवों में खाते खोलने का लक्ष्य दिया जाता है। आरडी के रूप में खोले जाने वाले खाते १० रुपए में खुलते हैं। प्रतिमाह कम से कम १०० खाते खोलना अनिवार्य किया गया है। यदि लक्ष्य से कम खाते खुलते हैं तो जीडीएस पर दबाव बनाकर परिचितों के खाते खुलवाए जाते हैं। इसकी भरपाई जीडीएस को अपनी जेब से करना पड़ता है। इतना ही नहीं जीडीएस को ग्रामीण डाक जीवन बीमा करने का लक्ष्य भी दिया जाता है। प्रत्येक जीडीएस को प्रतिमाह औसत १० लाख रुपए का बीमा करने का लक्ष्य दिया जाता है। यह बात अलग है कि नाममात्र के ही इस लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं, लेकिन लक्ष्य पूरा करने के लिए जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाली बैठक में दबाव बनाया जाता है।
जिले में ११० ग्रामीण डाक सेवक हड़ताल पर
शर्मा ने बताया कि मंगलवार को देश में आजादी की ७१वीं वर्षगांठ मनाई गई, लेकिन आज भी ग्रामीण डाक सेवक गुलामों जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके चलते १६ अगस्त से अखिल भारतीय ग्रामीण डाक कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल ६२ पोस्टऑफिस हैं और इनमें कुल ११० ग्रामीण डाक सेवक कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के ६२ पोस्टऑफिस १९ एसओ से जुड़े हैं। एसओ का आशय यह हैं कि यहां स्थाई पोस्टमास्टर की नियुक्ति रहती है। एसओ पर जिला मुख्यालय से डाक भेजी जाती है और ग्रामीण डाक सेवक एसओ से ही डाक एकत्रित करते हैं। प्रत्येक जीडीएस एसओ से डाक एकत्रित करने के बाद कम से कम १० से १५ गांवों में स्वयं के खर्च पर डाक बांटने जाते हैं। डाक वितरण के भी अलग से किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया जाता है। शर्मा ने बताया कि इसी साल ३० से ४० जीडीएस की जिले में नियुक्ति हुई है। इन्हें तो मात्र ५ से ६ हजार रुपए की वेतन भुगतान किया जा रहा है। ऐसे कई जीडीएस है जो डाक एकत्रित करने से लेकर वितरण तक के कार्य अकेले कर रहे हैं।
सुबह १० से शाम ५ बजे तक किया प्रदर्शन
चार सूत्रीय मांगों को लेकर हमने बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रारंभ की है। राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत सुबह १० से शाम ५ बजे तक जिला मुख्यालय स्थित मुख्य डाकघर के सामने संघ के सदस्यों ने प्रदर्शन किया। अब तक होता यह आया है कि हड़ताल के बीच में आश्वासन मिल जाता था और हड़ताल बीच में ही रोक दी जाती थी। इससे कर्मचारियों को मनोबल टूटता था। इस बार ऐसा नहीं होगा। संघ के जनरल सेकेटरी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस बार तब तक हड़ताल जारी रहेगी जबतक केंद्र सरकार संघ की मांगों को लागू नहीं किया जाता या मांगों के संबंध में ठोस निर्णय नहीं लिया जाता।
– रतनलाल शर्मा, जिलाध्यक्ष अभाग्राडा कर्मचारी संघ

Home / Neemuch / हड़ताल के चलते सैंकड़ों डाक बन सकेती हैं रद्दी!

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो