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नीमच

उत्कृष्ट को निखारने सैकड़ों बच्चों के साथ हो रहा छलावा

ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है शिक्षा के बेहतर इंतजाम

नीमचSep 17, 2018 / 10:59 pm

harinath dwivedi

MP Board of Secondary education

MP Board of Secondary education

नीमच. शासन के निर्णय से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो उत्कृष्ट और मॉडल स्कूलों में ही मेधावी बच्चे पढ़ते हैं ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं। शासन ने उत्कृष्ट और मॉडल स्कूलों में श्रेष्ठ शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा कराई। जिले के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ 84 शिक्षकों का मेरिट के आधार पर चयन भी हुआ। इनमें से 67 ने अपने मनपसंद उत्कृष्ट और मॉडल स्कूलों में ज्वाइन भी कर लिया, लेकिन जिन स्कूलों को इन्होंने छोड़ा वहां के अधिकांश स्कूलों में आज भी रिक्त पदों की पूर्ति नहीं हो सकी है।

परीक्षा देकर शिक्षक पहुंचे मनचाहे स्कूल
प्रदेश के प्रत्येक जिले में उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना के पश्चात समस्त विकासखंड पर मॉडल स्कूल खोले गए। चौकाने वाली बात यह है कि मॉडल स्कूलों को कागज पर जो स्वरूप दिया गया था वो आज तक धरातल पर साकार रूप नहीं ले सका है। शासन स्तर पर वर्ष 2010-11 से शिक्षकों की सीधी भर्ती नहीं हुई है। अतिथि शिक्षकों के दम पर बच्चों का भविष्य तय किया जा रहा है। इसके उलट जिले के उत्कृष्ट और मॉडल स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के लिए शासन स्तर पर परीक्षा आयोजित की गई। यह परीक्षा पिछले साल ऑनलाइन आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में जिले से भी बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए थे। परीक्षा में जिले से 84 शिक्षक उत्तीर्ण हुए थे। इनमें से 67 की मेरिट के आधार पर जिलेे के विभिन्न उत्कृष्ट और मॉडल स्कूलों में पदस्थापना की गई। जिन स्कूलों से यह श्रेष्ठ शिक्षक निकले वहां अधिकांश में आज भी पद रिक्त हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों की शैक्षणिक व्यवस्था चरमराई
मॉडल और उत्कृष्ट विद्यालयों में श्रेष्ठ शिक्षकों की पदस्थापना के लिए तो शासन ने परीक्षा आयोजित कर पूर्ति कर ली। लेकिन ग्रामीण और दूरस्थ स्कूलों में रिक्त पड़े शिक्षकों पदों की पूर्ति के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इसका एक उदाहरण मॉडल स्कूल जावद में देखने को मिला है। यहां वर्तमान में प्राचार्य का दायित्व प्रभारी के पास है। व्याख्याता नहीं हैं। वरिष्ठ अध्यापकों की पूर्ति नहीं हो सकी है। चौकाने वाली बात यह है कि जावद के इस मॉडल स्कूल में रिक्त पदों की पूर्ति तो की गई, लेकिन वो भी अध्यापकों से जबकि होना चाहिए थी वरिष्ठ अध्यापकों से। चयन परीक्षा में जितने शिक्षकों का चयन कर मॉडल स्कूल जावद में पदस्थापना की गई उसमें अधिकांश माध्यमिक शालाओं में अध्यापन कार्य करा रहे थे। इस कारण स्कूल के प्रमुख विषयों के अध्यापन की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। यह तो केवल उदाहरण मात्र है। ऐसे ही हालात जिले के अन्य स्कूलों में निर्मित हो रहे हैं। जिन बच्चों ने मेहनत कर परीक्षा में बैठकर अन्य स्कूलों को छोड़कर मॉडल स्कूल का चयन किया था वह अब पछता रहे हैं। अभिभावक भी पेशोपेश में हैं कि सत्र के मध्य में यदि अपने बच्चों के लिए किसी अन्य विद्यालय का चयन करना हो तो कैसे करें। मॉडल और उत्कृष्ट विद्यालय में नवीन पदस्थापना 15 अगस्त 2018 को की गई है। इससे जिन स्कूलों से वे आए हैं वहां के बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

‘बेस्ट बच्चों के लिए बेस्ट शिक्षक’
पिछले साल प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट शिक्षकों की परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में उत्तीर्ण शिक्षकों को उनके पसंदीदा विद्यालयों में पदस्थ किया गया था। उत्कृष्ट विद्यालय में मेरिट के आधार पर विद्यार्थियों का चयन किया जाता है। ऐसे में यहां बेस्ट बच्चों के लिए बेस्ट शिक्षक होना चाहिए। यह बात भी सही है कि जिन स्कूलों से शिक्षक यहां या अन्य मनपसंद स्कूलों में गए हैं वहां शिक्षकों की कमी हुई है। कई स्कूलों में तो संबंधित विषय के शिक्षक भी नहीं हैं। श्रेष्ठ शिक्षकों की चयन परीक्षा शासन स्तर पर ही आयोजित की गई है। ऐसे में जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है वहां जल्द से जल्द पूर्ति भी होना चाहिए।
– केएल बोरीवाल, प्राचार्य उत्कृष्ट विद्यालय नीमच

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