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अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन भी नसीब नहीं

बांध बनने के बाद नई बसावट में अब तक नहीं बना श्मशान घाट- प्रशासन को आवेदन दे-देकर थक गए ग्रामीण

नीमचSep 18, 2018 / 10:44 am

harinath dwivedi

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अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन भी नसीब नहीं

नीमच. डिजिटल इंडिया के दौर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकास के आयाम गढऩे के सपने दिखाए जा रहे हैं, लेकिन गांवों के हालात आज भी बदतर हैं। जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां पर किसी की मौत हो जाए तो अंतिम संस्कार के लिए श्मसानघाट तक नहीं है। विकास की बड़ी योजना के रूप में यहां बांध तो बना दिया लेकिन जिंदगी के अंतिम पड़ाव की जरूरत छीन ली।
यह हालात हैं जीरन तहसील के अंतर्गत कोई 2 हजार की आबादी वाले गांव काली कोटड़ी के। इस गांव के समीप ही कोई तीन बरस पहले हमेरिया बांध बना। इस बारिश में यह बांध लबालब भरा है। बांध के कारण दम तोड़ते खेत आबाद हो गए। लेकिन गांव के आसपास की अधिकांश जमीनें बारिश में टापू बन गई हैं। बांध बनने के पहले किए गए सर्वे में पंचायत, स्कूल, कई घर डूब में चले गए। नियम है कि जो गांव डूब में आते हैं उनकी पुनर्बसावट की जाती है।इसमें उन तमाम सुविधाओं के लिए जमीन आरक्षित कर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं जो बांध बनने से पहले के गाव में मौजूद रही हैं। इस गांव की कई सुविधाओं के साथ श्मसानघाट भी डूब में चला गया। नई बसावट के लिए शासन ने जिस स्थान पर श्मसानघाट के लिए भूमि आरक्षित की थी उसकी यह स्थिति है कि वर्तमान में वहां 5-5 फिट पानी भरा है।मुर्रम डालकर यह श्मसानघाट बनाया गया था जो अब दिखाई भी नहीं देता।
खेतों पर किया जाता है अंतिम संस्कार-
इस गांव में बांध बनने के बाद जितने भी लोगों की मौतें हुई हैं, मजबूरी में ग्रामीणों को उनका अंतिम संस्कार खेतों पर ही करना पड़ा है। महत्वपूर्ण यह है कि यहां श्मसानघाट की मांग लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से की लेकिन किसी ने सुनवाईनहीं की। गांव के 50-50 लोगों ने कलेक्टर की जनसुनवाई में जाकर अब तक 3 बार आवेदन दे दिए हैं। आवेदन में बताया गया है कि जो जमीन श्मसानघाट के लिए आरक्षित की गई थी वहां पानी भरा है ऐसे में गांव के पास ही सर्वे 121/1 की 1 हैक्टेयर शासकीय जमीन बेकार पडी है।इस पर लोगों की नियत बिगड़े इसके पहले इसे श्मसान घाट के लिए आरक्षित किया जा सकता है।बताया जा रहा है कि कुछलोग इस जमीन को लेकर विरोध भी जताते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि सरकार और प्रशासन को इस मामले में तो कम से कम गंभीर होना चाहिए। किसी मृतक का अंतिम संस्कार तो ठीक से करने की व्यवस्था हो जाए। जिन लोगों के पास खेती नहीं है या कम है उनके लिए भी यह मामला चिंता का विषय है।
वर्जन-
कालीकोटड़ी गांव के समीप जब से बांध बना है तब से यहां श्मसानघाट की कोई व्यवस्था नहीं है।जिस स्थान को आरक्षित किया गया था वह भी डूब में है।कई बार प्रशासन को जनसुनवाई में आवेदन दे दिए हैं। ग्रामीणों ने खाली पड़ी शासकीय जमीन का विकल्प भी सुझाया है।गांव की एक मात्र सड़क पर भी मुर्रम डाल रखा है, इस सड़क की सुध भी कोई नहीं लेता। -अरविंदसिंह राठौर, ग्रामीण कालीकोटड़ी

वर्जन-
कालीकोटड़ी में श्मसान न होने का विषय मेरी जानकारी में आया है। राजस्व विभाग से जानकारी लेकर स्थान चिन्हित करवाते हैं। जिस जमीन का विकल्प बताया जा रहा है उसे लेकर ग्रामीणों में विवाद है।सरपंच, सचिव और दोनो पक्षों को बैठाकर जल्द मसला सुलझा लेंगे। यह महत्वपूर्ण आवश्यकता है, गंभीरता से लिया जा रहा है।-अरविंद माहौर, सीईओ जनपद पंचायत नीमच
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