-जिला चिकित्सालय में सुविधा के बावजूद मरीज उदयपुर के भरोसे-समय से पहले गायब हुए चिकित्सक, लटक गए ओपीडी में ताले
नीमच•Mar 07, 2019 / 11:44 am•
Mahendra Upadhyay
चक्कर काटते रहे मरीज, नदारद नजर आए दंत चिकित्सक
नीमच. कहने को तो जिला चिकित्सालय में एक नहीं बल्कि दो दो दंत चिकित्सक हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है अधिकतर दोनों ही नदारद नजर आते हैं। ऐसे में जिलेभर से अपने दांतों का उपचार कराने आने वाले मरीज चिकित्सक की खाली कुर्सियां देखकर लौट जाते हैं। ऐसा ही नजारा बुधवार को नजर आया।
6 मार्च डेंटिस्ट डे के दिन जब दोपहर १२.३० जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर स्थित दंत चिकित्सा ओपीडी पर नजर डाली तो हालात आश्चर्य जनक नजर आए, वैसे तो ओपीडी बंद होने का समय दोपहर १ बजे रहता है। लेकिन यहां दंत चिकित्सक कक्ष में १२.३० बजे ही दोनों कुर्सियां खाली पड़ी थी, वहीं डेंट्स्टि की चेयर बंद कमरे में थी, जो काफी साफ सुथरी नजर आ रही थी, जिससे साफ पता चल रहा था कि कम से कम बुधवार को तो एक भी मरीज की ओपीडी नहीं हुई। वहीं समीप के कक्ष में एक चेयर अस्त वयस्त अवस्था में नजर आ रही थी, जिससे साफ पता चल रहा था कि वह कंडम हैं। ऐसे हालात देखकर जब वहां पूछताछ की तो बताया गया कि चिकित्सक आए तो थे, लेकिन अब कहां है पता नहीं। चूकि ओपीडी बंद होने का समय दोपहर १ बजे का रहता है। ऐसे में करीब आधे घंटे वहीं रूककर इंतजार किया, शायद चिकित्सक आ जाए, लेकिन ओपीडी बंद होने के समय तक चिकित्सक नहीं पहुंचे, ऐेसे में चौकीदार ने कक्ष में ही ताला ठोक दिया, इस बीच कई दंतों के मरीज आते रहे, लेकिन चिकित्सक की कुर्सियां खाली देखकर लौटते रहे। पर चिकित्सक एक बार गए तो दोबारा लौटकर नहीं आए।
चिकित्सकों की अरूचि के कारण मरीज उदयपुर के भरोसे
जिला चिकित्सालय में दो चिकित्सक, डेंटिस्ट की चेयर, एक्सरे मशीन आदि सब सुविधाएं होने के बाद भी चिकित्सकों की रूचि जिला चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को नहीं देखने की होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मरीज ऐसे में उदयपुर जाकर उपचार कराने को मजबूर होते हैं, क्योंकि स्थानीय निजी दंत चिकित्सक इतनी मोटी रकम वसूलते हैं कि एक मध्यमवर्गीय मरीज की भी कमर टूट जाती है। ऐसे में वे डेंटल कॉलेज उदयपुर जाने को मजबूर होते हैं क्योंकि वहां मात्र चंद रुपयों में ही मरीजों का उपचार हो जाता है।
चिकित्सक अधूरी सुविधा बताकर थमा देते हैं घर का कार्ड
वैसे तो जिला चिकित्सालय में दांतों की समस्या से पीडि़त करीब एक से दो दर्जन मरीज रोज आते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है कि उनका उपचार करने की अपेक्षा या तो छोटी मोटी दर्द निवारक दवाईयां लिखकर चलता कर देते हैं। या फिर उन्हें बताया जाता है कि यहां पर पूरी सुविधा नहीं है यह कार्ड लिजिए आप घर पर आकर दिखा देना, वहां सब सुविधा है, यहां तक कि क्या खर्च आएगा वह भी बता देते हैं। ऐसे में जिसे उपचार कराना होता है वह मजबूर होकर इनके घर जाता है। वहीं जो मरीज आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होता है वह उदयपुर जाकर उपचार कराता है।
वर्जन.
जिला चिकित्सालय में दांत निकलने से लेकर सिंपल और सर्जीकल दोनों तरह के उपचार की सुविधा है। दांतों की सफाई भी की जाती है। साथ ही एक्सरे की सुविधा भी है। चूकि पालसोड़ा का प्रभार भी मेरे पास है, इसलिए सुबह ११ बजे के बाद यहां आना पड़ता है। साथ ही बुधवार को महिला स्वास्थ्य शिविर में भी जाना था।
-डॉ प्रवीण पांचाल, दंत चिकित्सक
वैसे तो यह सिविल सर्जन के अंडर में आता है। अगर ऐसा है तो हम दंत चिकित्सक को बोलकर व्यवस्था सुधारने के लिए कहेंगे।
-डॉ एसएस बघेल, सीएमएचओ
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