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भाजपा मोदी लहर तो कांग्रेस जनमुद्दों को लेकर मैदान में

संसदीय सीट से 15 चुनाव में केवल 4 बार कांग्रेस जीतीपिछले चुनाव में सबसे बड़े अंतर से हुई थी मीनाक्षी नटराजन की हारभंवरलाल नाहटा से ढाई हजार मतों से हारे थे लक्ष्मीनारायण पांडे

नीमचApr 29, 2019 / 01:50 pm

Mahendra Upadhyay

नीमच. इस संसदीय सीट से भाजपा के पास नरेंद्र मोदी के अतिरिक्त ऐसा कोई मुद्दा नहीं है जिसके दम पर मतदाताओं से वोट मांगे जा सकें। दूसरी ओर कांग्रेस किसान, रोजगार, महिलाओं और ७२ हजार हर गरीब परिवार को देने के वादे को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच रही है। मुकाबला रोचक बनता दिख रहा है। सांसद सुधीर गुप्ता को ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है तो कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन को भीतरघात से अधिक नुकसान की आशंका है।
फैक्ट फाइल
संसदीय सीट पर कुल मतदाता- १७,४४,९५२
कुल मतदान केंद्र-२१५७
पुरूष मतदाता- ८९३७७०
महिला मतदाता- ८५११४९
पिछले चुनाव में हुआ मतदान प्रतिशत- ७१.३८
भाजपा को मिले कुल मत-६९८३३५
कांग्रेस को मिले कुल मत-३९४६८६
१९५७ से संसदीय सीट में राजनीतिक समीकरण
वर्ष विजेता पार्टी जीत का अंतर
१९५७ माणकलाल कांगे्रस २१२२८
१९६२ उमाशंकर जेएस १०८५३
१९६७ केएस ङ्क्षसह बीजेएस २८७९१
१९७१ लक्ष्मीनारायण पांडे बीजेएस ७६०३
१९७७ लक्ष्मीनारायण पांडे बीएलडी ५११०७
१९८० भंवरलाल नाहटा कांग्रेस २६८३
१९८४ बालकवि बैरागी कांग्रेस ५९७६३
१९८९ लक्ष्मीनारायण पांडे बीजेपी १०२३२५
१९९१ लक्ष्मीनारायण पांडे बीजेपी ६९८२
१९९६ लक्ष्मीनारायण पांडे बीजेपी ७९८४८
१९९८ लक्ष्मीनारायण पांडे बीजेपी १७७०२
१९९९ लक्ष्मीनारायण पांडे बीजेपी ५५४८५
२००४ लक्ष्मीनारायण पांडे बीजेपी १३९६३३
२००९ मीनाक्षी नटराजन कांग्रेस ३०८१९
२०१४ सुधीर गुप्ता बीजेपी ३०३६४९
इस संसदीय सीट से मात्र ४ बार जीती कांग्रेस
इस संसदीय सीटको भाजपा का गढ़ माना जाता है। पिछले १५ लोकसभा चुनावों में मात्र ४ बार ही कांग्रेस को इस सीट से जीत मिली है। वर्ष २००९ में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन ने लगातार ७ बार लोकसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड बना चुके डा. लक्ष्मीनारायण पांडे को पराजित कर कांग्रेस की जीत का द्वार खोला था। डा. पांडे की हार का मुय कारण कार्यकर्ताओं की नाराजगी रही थी। इसके बाद वर्ष २०१४ में मोदी लहर में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जहां वर्ष २००९ में नटराजन ३०८१९ मतों से जीतीं थी वहीं वर्ष २०१४ में उन्हें ३ लाख ३ हजार ६४९ मतों के विशाल अंतर से करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में भी भाजपा मोदी के नाम पर वोट मांग रही है।
भाजपा का एक वर्ग अब भी नाराज
पिछले लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव मंदसौर सीट से प्रदेश भाजपा महामंत्री बंशीलाल गुर्जर का नाम चर्चाओं में रहा। पिछले लोकसभ चुनाव में भी उनका नाम पैनल में अंत तक था। इस तरह विधानसभा चुनाव में नीमच जिले की मंदसौर सीट और मंदसौर जिले की सुवासरा व मंदसौर सीट से उनके नाम की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन टिकटनहीं मिला। इस बार भी उनके नाम की चर्चाओं को बाजार गर्मथा। टिकट नहीं मिलने पर उनका रोष खुलकर सामने आया। यहां तक कि भाजपा के वरिष्ठ नेता माखनसिंह सामजस्य बैठाने के लिए भी आए थे, लेकिन उनके सामने ही सांसद का खुलकर विरोध हुआ। जावरा विधायक राजेंद्र पांडे, जावद विधायक ओमप्रकाश सखलेचा, मल्हारगढ़ विधायक जगदीश देवड़ा ने भी सांसद को लेकर विरोध दर्ज कराया था। राजेंद्र पांडे तो अब भी प्रत्यक्ष रूप से भाजपा के पक्ष में मैदान में नहीं है।
भीतरघात से कांंग्रेस को खतरा
विधानसभा चुनाव में पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन की भूमिका और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी छवि जीत में सबसे बड़ी बाधा है। यूं तो नीमच जिला मुयालय पर सांसद का खुलकर विरोध किया गया था, लेकिन टिकट फाइनल होने के बाद मुखर विरोध कहीं नहीं दिखाई दिया। कांग्रेस के सामने भीतरघात को लेकर सबसे बड़ी चिंता है। महेंद्रसिंह कालूखेड़ा समर्थकों को साधने में नटराजन काफी हद तक सफल होतीं दिख रही हैं। स्थानीय मुद्दों में रेलवे की सुविधाओं में विस्तार नहीं होने को लेकर वे मतदाताओं को लुभाने में लगी हैं। भाजपा के अब तक के शासन में संसदीय क्षेत्र में एक भी नया उद्योग स्थापित नहीं होना भी इस बार चुनावी मुद्दा है।
अब तक नहीं दिखाई चुनावी रोनक
मंदसौर-नीमच संसदीय सीट पर अंतिम दौर १९ मई में मतदान होना है। अब तक चुनाव को लेकर विशेष उत्साह दिखाई दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में नुक्कड़ सभाएं अवश्य हो रही हैं, लेकिन इस व्यापाक असर दिखाई नहीं दे रहा है। भाजपा की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की २ मई को मनासा में जनसभा की चर्चा है। दूसरी ओर कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी के भी संसदीय क्षेत्र में आने की संभावना बन रही है। स्टार प्रचारकों के दौरे के बाद चुनावी हलचल तेज होने की संभावना है। संसदीय क्षेत्र में विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ताओं की नियमित बैठकों का दौर दोनों ही पार्टियों की ओर से चल रहा है। बैठकें आयोजित कर चुनाव की रणनीति पर कार्य किया जा रहा है।

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