मोहमद साहब के जमाने से चली आ रही रमजान में खजूर से रोजा खोलने की परंपरा
-पिछले साल की अपेक्षा दोगुने हुए खजूर के दाम, डिमांड वही-इस माह रहेगी 50 से 60 क्ंिवटल खजूर की खपत
नीमच. पैगबर हजरत मोहमद साहब ने स्वयं अपने हाथों से मदिना के बगीचे में खजूर लगाई थी। वे रोजा भी खजूर से खोला करते थे। क्योंकि खजूर ऐसा फल है जिसमें पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्निज, पोटेशियम आदि प्रदार्थ होते हैं। इसी के चलते सालों से मुस्लिम समाजजन खजूर से रोजा खोलते हैं। क्योंकि स्वयं मोहमद साहब ने इसे बेहतरीन फल बताया है। इस बार पिछली बार की तुलना में खजूर के दाम दोगुने हो गए। लेकिन फिर भी इसकी खपत में कोई कमी नहीं आई है।
रमजान माह में खजूर का विशेष महत्व है। इस्लाम समाजजनों की मान्यता है कि पैगंबर मोहमद अपना रोजा खजूर से ही खोला करते थे। पैगंबर मोहमद ने कहा है कि जो लोग रोजा रखते हैं। वो अपना रोजा खजूर से ही खोलें, अगर खजूर न हो तो पानी से भी खोल सकते हैं। इसलिए मुस्लिम समाजजन खजूर से ही रोजा खोलते हैं। खजूर का धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। क्योंकि खजूर खाने से सेहत में भी काफी फायदा होता है। कुरआन में भी खजूर के महत्व के बारे में बताया गया है। इसलिए दुनियाभर में मुस्लिम समाजजन खजूर खाकर ही रोजा खोलते हैं।
यह होता है खजूर से फायदा
-खजूर में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज, सुक्रोज पाया जाता है। इस कारण इतार और सेहरी के समय दो से चार खजूर खाने से शरीर को तुरंत ही एनर्जी मिलती है।
-खजूर में प्रोटीन पाया जाता है। जिससे डाइजेशन बेहतर होता है। साथ ही एसिडिटी की समस्या भी दूर होती है। खजूर से रोजा खोलने से एसिडिटी से राहत मिलती है।
-खजूर में कैल्शयिम, मैगनीज और कॉपर की भी भरपूर मात्रा होती है। इसके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है।
-खजूर में पोटेशियम और सोडियम भी होता है। जो शरीर के नर्वस सिस्टम के फंक्शन को बेहतर करते हैं।
-खजूर में मौजूद मैग्नीशियम और पोटेशियम ब्लड प्रेशर को बढ़ऩे से रोकते हैं। इतार के समय 2-3 खजूर का सेवन ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है।
खजूर के दामों में आया उछाल
पिछले साल जो खजूर ६० से ७० रुपए किलो थी, वही खजूर वर्तमान में १४० रुपए किलो बिक रहा है। इसी प्रकार जो खजूर पहले ९५ रुपए किलो बिका करता था। वह खजूर १६० से १७५ रुपए किलो तक बिक रहा है। खजूर के दामों में यह अंतर पुलवामा में हुई आंतकी घटना के बाद से ही आया है। क्योंकि उसके बाद से व्यापारियों ने पाकिस्तान से खजूर लेना बंद कर दिया था। चूकि खजूर की पैदावार वहीं सबसे अधिक होती है। इस कारण पाकिस्तान से खजूर सीधे नहीं आने के कारण दामों में उछाल आया है।
रमजान में बढ़ी डिमांड, अच्छी खजूर की नहीं नीमच में आवक
वैसे तो खजूर की विभिन्न किस्में होती है। जिसमें कलमी खजूर, अजवा ाजूर आदि कई प्रकार की खजूर आती है। जो दाम में १४० रुपए किलो से लेकर २५०० रुपए किलो तक की खजूर आती है। लेकिन इतनी महंगी खजूर की डिमांड यहां नहीं होने से जिले में सामान्य किस्म की खजूर आती है। जो १५० से २०० रुपए किलो बिकती है। इस समय पिंड खजूर के दाम भी ७० से १०० रुपए किलो चल रहे हैं। जानकारों की माने तो जिले में हर दिन एक से दो बोरी खजूर की खपत हो रही है। यानि एक माह में करीब ५० से ६० क्ंिवटल खजूर की खपत होगी।
पैगंबर हजरत मोहमद ने स्वयं मदिना के बगीचे में अपने हाथों से खजूर उगाया था। रमजान में खजूर से रोजा खोलना सुन्नत माना जाता है। अब खजूर किसी भी दाम पर क्यों न मिले, इसे हर मुस्लिम समाजजन उपयोग में लाता है।
-हाजी साबिर मसूदी, सदर, अंजुमन इत्तिहादुल मुस्लेमिन कमेटी
मोहमद साहब ने खजूर के फल को सबसे बेहतरीन फल बताया है। मुस्लिम समाजजनों में खजूर का विशेष महत्व है। क्योंकि स्वयं मोहमद साहब खजूर से रोजा खोलते थे।
-इलियास कुरैशी, समाजसेवी
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