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video साध्वी वृन्द के सामैया जुलूस में उमड़ा जनसैलाब –

संयम जीवन मोक्ष प्राप्ति का उत्तम साधन है

नीमचJan 22, 2019 / 08:45 pm

Mahendra Upadhyay

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video साध्वी वृन्द के सामैया जुलूस में उमड़ा जनसैलाब –

नीमच. संयम जीवन मोक्ष प्राप्ति का उत्तम साधन है। संयम की राहत कठिन जरूर है लेकिन असम्भव नहीं है। संयम जीवन से पर तथा स्वंय दोनों की आत्मा का कल्याण हो सकता है। संसार में दुख ही दुख है लेकिन संयम की राह में सुख ही सुख है। संयम बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है। संयम की राह दो धारी तलवार है।
यह बात साध्वी अमीपूर्णा श्रीजी मसा ने कही। वे श्री जैन श्वेताम्बर भीड़ भंजन पाश्र्वनाथ श्रीसंघ द्वारा 10 फरवरी को प्रस्तावित जयति छाजेड़ की दीक्षा सम्पन्न कराने की निश्रा प्रदान करने 21 जनवरी सोमवार सुबह जैन भवन सभागार में आयोजित धर्मसभा में बोल रहीं थी। उन्होंने कहा कि मृदुपूर्णा श्रीजी के दीक्षा उत्सव की तरह हो माहौल बनाना है। 33 वर्ष में श्रावक-श्राविकाओं ने धर्म में कितनी प्रगति की है चिंतन करना होगा। हमारी प्रगति आत्मा की प्रगति है। इसकी आत्मा का लक्ष्य बनता है वही वास्तव में जगता है जिसने शरीर का लक्ष्य बनाया है वह वास्तव में सोया है। मानव सम्पति के लिए सोचता है आत्मा के लिए भी सोचे। जिसने एक को जाना उसने सब को जाना है। संत के हाथ में कटोरा है। मानव के हाथ में मोबाइल का खिलौना आ गया है। आत्मा को नहीं पहंचाने तो महावीर के शासन में प्रवेश का अधिकार नहीं है। मानव को अपनी आत्मा को जानना है। संयम लेने जैसा है। संसार छोडऩे जैसा है। मोक्ष पाने जैसा है। इसी को जीवन का ध्येय वाक्य बनाएं। यह सांस में बसना चाहिए। हर वर्ष चार्तुमास चाहिए। मृदुपूर्णाश्रीजी ने हजारों किमी की पदयात्रा की है, लेकिन आप कहां है दीक्षा के बाद महावीर से कनेक्षन जुड़ता है। साध्वी मृदुपुर्णा श्रीजी ने कहा कि स्वामी विवेकनंद के अनुसार मानव अपने लक्ष्य पर अडिग रहे, लेकिन मानव इधर उधर भाग रहा है। मानव सम्पति किसके लिए जौड़ रहा है। 33 वर्ष पहले नीमच धरा पर मेरी दीक्षा हुई थी। आसन से सिंहासन पर आना चाहिए। 33 वर्ष तक यहां एक भी दीक्षा नहीं हुई है। जब तक संयम के प्रति जागृति नहीं आएगी तब तक परिवर्तन नहीं आएगा। गुरु निश्रा में सभी आत्मा का कल्याण करें। 33 वर्ष बाद जयती बहन की दीक्षा आएगी। इस अवसर पर भीड़ भजन पाश्र्वनाथ जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी, वरिष्ठ समाजजन डीएस चौरडिय़ा आदि ने भी संबोधित किया। जयती की दीक्षा आमंत्रण की पत्रिका का दोपहर 2.30 बजे जैन भवन सभागार में शुभ विमोचन समाजजनों की उपस्थिति में किया गया। पत्रिका लेखन लिखना शुरू किया। रचनात्मक संचालन ट्रस्ट सचिव मनीष कोठारी ने किया।
साध्वी वृन्द के सामैया धार्मिक जुलूस में उमड़े श्रद्धालु
सामैया धर्म जुलूस में सबसे आगे श्वेत घोड़े पर दो नन्हें बालक सवार थे। बैंड पर जैन भक्ति गीतों की स्वर लहरियां बिखर रही थी। जुलूस में महिलाएं मंगल अमृत कलश सिरोधार्य किए पंक्ति में चलायमान थी। मंदसौरी ढोल पर युवा नृत्य कर रहे थे। साध्वी वृन्द का मार्ग में स्थान-स्थान पर श्रद्धालु समाजजनों ने अक्षत, स्वास्तिक, गवली पगलिया कर आशीर्वाद ग्रहण किया। साध्वी वृंद का सामैया जुलूस सुबह 9 बजे महू रोड स्थित अग्रवाल पंचायत भवन छावनी बारादरी में नवकारसी के बाद प्रारम्भ हुआ जो बजरंग चौक, बिहारगंज, नयाबाजार, श्रीराम चौक, घंटाघर, जाजू बिल्डिंग, पुस्तक बाजार, फोर जीरो विद्युत चौराहा, जैन भवन रोड़ होते हुए जैन भवन सभागार में पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गया। सौमेया धार्मिक जुलूस में विधायक दिलीपसिंह परिहार, उमरावसिंह गुर्जर, हरगोविंद दिवान, मनोहरसिंह लोढ़ा, विकासनगर महावीर जिनालय श्रीसंघ के अध्यक्ष राकेश आंचलिया, प्रकाश मानव, राजेश मानव, प्रेमप्रकाश जैन, पूर्व नपाध्यक्ष रघुराजसिंह चौरडिय़ा, महेन्द्र चौधरी, रेलवे के सेवानिवृत यंत्री अनुरक्षण गोसेवक रफीक भाई सहित बड़ी संख्या में सफल जैन समाज के श्रावक-श्राविकाएं सहभागी बनी। श्री भीड़ भंजन पाश्र्वनाथ मंदिर पुस्तक बाजार में साध्वी अमीपूर्णाश्रीजी एवं साध्वी मृदुपूर्णाश्रीजी की प्रेरणा से चांदी का छत्र शीघ्र ही शुभमुहूर्त में दीक्षार्थी जयती जैन के कर कमलों द्वारा चढ़ाया जाएगा।

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