पानी की टंकी में पक्षियों की हड्डी मिलने के बाद भी नहीं लगाए ढक्कन
-जिला चिकित्सालय की छत पर रखी टंकियोंं के ढक्कन नहीं
नीमच. जिला चिकित्सालय की छत पर रखी पानी की टंकियों में सफाई का अभाव तो है ही सही, साथ ही इन टंकियों के ऊपर ढक्कन नहीं होने से कभी भी कोई घटना होने की संभावना बनी रहती है। क्योंकि खुली टंकी में जीव, जंतु या पक्षी के गिरने के कारण पानी दूषित होने की संभावना बनी रहती है। ऐसा ही वाक्या शुक्रवार को मनासा में होने के बावजूद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुलना चिंता जनक है।
जिला चिकित्सालय की छत पर करीब ४४ पानी की टंकियां रखी हुई है। इन पानी टंकियों की सफाई हुए लंबा समय बीत चुका है। यह इन टंकियों पर लिखी सफाई की तारीख से ही प्रदर्शित हो रहा है। ऐसे में जब शनिवार को इन टंकियों की ओर नजर डाली तो हालात आश्चर्य जनक नजर आए। आधी से अधिक टंकियों में ढक्कन थे ही नहीं, वहीं अधिकतर पानी की टंकियों में पानी भी गंदा था, वहीं कुछ टंकियों में तो कजी जमी होने के कारण टंकी के अंदर कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। ऐसे में यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि जहां मरीज अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपचार प्राप्त करने पहुंचते हैं। वहां ही मरीजों को ऐसा पानी मिल रहा है जो शुद्धता पर खरा नहीं उतर रहा है।
मनासा की घटना के बाद भी नहीं ली सुध
मनासा मंडी में रखी पानी की टंकी का ढक्कन खुला होने के कारण उसमें कॉकरोच और पक्षियों की हड्डी मिली थी। जिसका खुलासा शुक्रवार को किसान द्वारा पानी पीने के दौरान बदबू आने पर हुआ, किसान जब पानी पीने लगा तो उसे भयंकर बदबू आई वहीं काकरोच और कीड़े भी निकले, ऐसे में किसानों ने हंगामा करते हुए जिम्मेदारों को अवगत कराया। इस घटना के बाद उम्मीद थी कि जिम्मेदार सुध लेकर अपने यहां के हालातों में निश्चित सुधार करवाएंगे। लेकिन जब शनिवार को जिला चिकित्सालय की छत पर रखी टंकियों के हालातों पर नजर डाली तो हालात आश्चर्य जनक नजर आए। क्योंकि अधिकतर टंकियों के ढक्कन गायब थे। वहीं सफाई का भी अभाव साफ नजर आ रहा था।
केवल भरते हैं पानी, नहीं होती सफाई
सूत्रों की माने तो जिला चिकित्सालय की छत पर रखी पानी की टंकी में पानी खाली होने पर केवल पानी भर दिया जाता है। टंकियों की सफाई नहीं की जाती है। इस कारण टंकियों में कजी जम चुकी है। साथ ही टंकियों के ढक्कन खुले होने से पानी भी टंकियों से बाहर निकलकर छत पर फैल जाता है। जो अधिक दिन तक छत पर पड़ा होने के कारण उसमें भी जीव जंतु पनपने लगते हैं। इसलिए जिम्मेदारों को सुध लेना चाहिए। ताकि कभी कोई बड़ा हादसा नहीं हो। जिला चिकित्सालय की छत के ऊपर रखी पानी की टंकियों पर लिखी सफाई की तारीख भी २४-११-२०१५, २४-०८-२०१६ आदि लिखी हुई है। जबकि जब भी टंकियों की सफाई होती है नियमानुसार टंकियों पर सफाई की तिथि लिखना अनिवार्य होता है। इससे साफ नजर आ रहा है या तो सालों से पानी की टंकियों की सफाई नहीं हुई है। या फिर सफाई होने के बाद भी तारीख बदलने की जरूरत महसूस नहीं की गई। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण पेयजल जैसी मुख्य व्यवस्था में भी नियमों को ताक में रखा जा रहा है। जिससे कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है। क्योंकि खुली टंकी में अगर कोई जहरीला जीव जंतु प्रवेश कर गया तो निश्चित ही मरीजों द्वारा पानी पीने पर उनकी जान जोखिम में पड़ सकती है।
वर्जन.
मैंने स्वयं ही टंकियों की सफाई करवाई थी। अगर तारीखें नहीं बदली है तो उसमें सुधार करवाएंगे। जिन टंकियों के ढक्कन नहीं थे, उन पर पत्थर रखवाए थे, ताकि टंकियां खुली नहीं रहे। अगर टंकियां खुली है तो उन्हें कल ही दिखवाकर उन्हें ढकवाया जाएगा।
-डॉ. पंकज शर्मा, सीएमएचओ
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