केंद्रीय मंत्री और अन्य विशिष्ठ अतिथियों जाने के बाद विवाद क्यों हुआ। किस कारण से हुआ, यह बताने को कोई तैयार नहीं है, लेकिन यह सच है कि केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में जो शीलालेख लगाया गया था उसे तोड़ दिया गया। शीलालेख यदि गिरकर टूटता तो मुश्किल से दो-तीन टुकड़े होते। पत्थर मारकर तोडऩे की वजह से उसके आठ टुकड़े हुए हैं। इस कारण शीलालेख तोडऩे की आशंका अधिक है। इस संबंध में मालवीय बलाई समाज के वरिष्ठ सदस्य आशोक खिची का कहना था कि शीलालेख टूटा है यह बात सही है, लेकिन शीलालेख विवाद के चलते तोड़ा गया इस बात में सच्चाई नहीं है। पूरा कार्यक्रम काफी अच्छी तरह से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम इतनी जल्दी तय हुआ था कि मजबूत शीलालेख बनवाने तक का पर्याप्त समय नहीं मिला। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत भी समय पर कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए थे। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी साथ में थे। सभी ने मंदिर में अच्छी तरह से दर्शन किए। इसके बाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कहीं कोई विवाद की स्थिति नहीं बनी थी। शीलालेख रखने में थोड़ी सी चूक होने की वजह से वो नीचे गिरकर टूट गया। विवाद होने की बात पूरी तरह से गलत और निराधार है।