जब शहर में सीवर लाइन डालने का कार्य चल रहा था तब ही इसकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए गए थे। तब न जनप्रतिनिधियों और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया था। आज इसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है। शहर में सीवर लाइन, गंदे पानी को फिल्टर करने के लिए प्लॉट आदि का ठेका करीब 60 करोड़ रुपए में हुआ है। इतनी महत्वाकांक्षी योजना में भी कार्य की गुणवत्ता पर किसी ने नजर नहीं रखी। इस कारण पूरी योजना पर की सवाल उठने लगे हैं। इसके चलते आज शहर में जगह जगह सीवर लाइन जाम हो रही है। इसके चलते आए दिन सड़कें खोदी जा रही है। करोड़ों रुपए की लागत से जिला मुख्यालय पर कार्य हो रहा है। नगरपालिका में विपक्ष के नाम पर गिनती के कांग्रेस पार्षद हैं। वे भी केवल बयानबाजी कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। जिस गुणवत्ता का कार्य होना चाहिए था ऐसा कहीं दिखाई नहीं दे रहा फिर भी जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे बैठे हैं। भाजपा नेताओं की मजबूरी है, लेकिन कांग्रेसियों का मौन कई सवालों को जन्म देता है।
अम्बेडकर मार्ग हो या महिला बस्तीगृह के समीप की मुख्य सड़क। सीवर लाइन की वजह से लोगों को वहां से गुजरना दुश्वार हो गया है। भाग्येश्वर मंदिर मार्ग पर सीवर लाइन डालने के बाद संबंधित कम्पनी ने वहां डामरीकरण नहीं किया था। इसकी दुष्परिणाम यह हुआ करीब 500 मीटर सड़क पर जहां से सीवर लाइन गुजरी से पूरी सड़क ही धंस गई है। महिला बस्तीगृह के सामने तो जहां चेम्बर बना है वहां करीब एक फीट सड़क धंस गई है। रात के समय यहां हादसे होना आम बात हो गई है। इससे बुरे हालात अम्बेडकर मार्ग के हो गए हैं। वहां बारिश के दौरान सीवर लाइन में बनाए गए चेम्बरों से पानी ओवर फ्लो होने लगा था। तब भी कम्पनी के कर्मचारियों सड़क खोद दी थी। एक स्थान से समस्या हल हुई तो अब चौराहे पर चेम्बर जाम हो गया। इस बार स्थिति यह बनी है पूरा चेम्बर ही जेसीबी की मदद से उखाडऩा पड़। एक कर्मचारी को चेम्बर में उतारकर उसकी सफाई कराई गई। चेम्बर बंद होने की वजह से आगे की पूरी लाइन जाम पड़ी है। शहर की सबसे अच्छी सड़क के बीच में सीवर लाइन जाम होने से पूरी सड़क अब तक आधा दर्जन बार खोदी जा चुकी है। सफेद गिट्टी से सड़क बनी होने की वजह से अब धूल के गुबार उठने लगे हैं। लोगों का वहां से गुजरना मुश्किल हो गया है।
शहर में एक नहीं करीब तीन-चार स्थानों पर सीवर लाइन की समस्या सामने आई है। कलेक्टर निवास के समीप भी इसी प्रकार की दिक्कत आई थी। सीवर लाइन डालते समय लेवल का ध्यान नहीं रखा गया। इस कारण यह समस्या सामने आ रही है। संबंधित कम्पनी को 10 साल तक सीवर लाइन का मेंटेनेंस करना है। उन्हें पता है कि कार्य की गुणवत्ता ठीक नहीं होगी तो आगे उन्हीं पर आर्थिक भार पड़ेगा।
– संजेश गुप्ता, मुख्य नपा अधिकारी