दरअसल राज्य विद्युत नियामक आयोग ने मीटर किराए की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। बिजली कंपनियों को बिजली दर निर्धारण में मीटर किराए को भी दर्शाना पड़ता था। जिसे अब तक नियामा आयोग मंजूरी देता रहा है। आयोग ने इसे गलत मानकर मीटर किराया वसूलने की मंजूरी पर रोक लगा दी है। नियाम आयोग ने तर्क दिया है कि इसे बिजली खर्च में शामिल माना जाता है, फिर अलग से मीटर किराए की जरूरत नहीं है। इसीलिए मीटर किराए की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
विद्युत अधिनियम २००३ के तहत बिजली कंपनियों को सौं फीसदी मीटर लगाने के लिए २००५ तक की मोहल्लत दी गई थी। परंतु यह लक्ष्य अब भी अधूरा है। हर साल सौ फीसदी मीटर लगाने के लिए लक्ष्य तय किए जाते है। परंतु इसमें सफलता नहीं मिल पाती है। बीते दस वर्षो में उपभोक्ता भी दोगुना हो गए है, परंतु मीटर की कमी सहित अन्य कारणों से सौ फीसदी मीटर नहीं लग पाए हैं।
यूं भले ही बिजली का बोझ बढ़ता जाए, परंतु मीटर किराया नहीं देने से उपभोक्ता को औसत ३० से ४० रुपए महिने का फायदा होगा। हालांकि मीटर किराया विभिन्न श्रेणियों में अलग-अलग है। मीटर किराए के लिए अलग से भी बिजली कंपनी कोई शुल्क नहीं ले सकेगी। यह शुल्क बिजली खर्च में ही शामिल माना जाएगा।
उपभोक्ता वर्ग—————————-कनेक्शन—————————————-बिना मीटर
शहरी ————————————–६९ हजार ९६९ मीटर कनेक्शन——————- ८४९ औद्योगिक कनेक्कश
ग्रामीण————————————–१ लाख २ हजार ७०९ मीटर कनेक्शन————–६७ हजार २८४ कृषि कनेक्शन
कुल—————————————-१ लाख ७२ हजार ६७८ मीटर कनेक्शन————-६८ हजार १३३ बिना मीटर कनेेक्शन
बिजली कंपनिया हर मीटर किराया पूर्व में वसूलती थी। औसत एक मीटर सात से नौ हजार में आता है। कपंनी ५ से दस रुपए विभिन्न श्रेणी में किराया वसूलती थी। अभी रोक लगने के बाद मीटर किराया लेना बंद कर दिया गया है। एक माह में जिले से करीब साढ़े पांच लाख रुपए मीटर किराया वसूल हो जाता था।
– एके सक्सेना, अधीक्षण यंत्री एमपीईबी नीमच