औसत से दोगुनी बारिश और अन्य क्षेत्रों से आया पानी
जिले मेंं इस बार हुई बारिश ने जहां पिछले 11 सालों के रिकार्ड तोड़ दिए हैं। वहीं बारिश भी औसत से दोगुनी हो चुकी है। जिसमें मनासा विकासखंड में सबसे अधिक 75 ईंच से अधिक बारिश हुई है। वहीं नीमच विकासखंड में 61 ईंच से अधिक बारिश हुई है। हालांकि जावद क्षेत्र में बारिश जिले में सबसे कम हुई है। लेकिन उसने भी 52 ईंच का आंकड़ा पार कर चुका है। चूकि जिले की औसत बारिश करीब 33 ईंच है इस कारण अब तक हुई बारिश ने दोगुनी बारिश का आंकड़ा टच कर लिया है। वहीं गांधी सागर के गेट खुलने पर हुई पानी की भयंकर आवक से रामपुरा की निचली बस्तियां पूर्ण रूप से जलमग्न हो चुकी है। हालात यह है कि आधा दर्जन से अधिक क्षेत्रों में लोगों के घरों, दुकानों, अस्पताल, बस स्टंैड आदि पानी से खचाखच भर चुके हैं।
जिले में जब से बारिश का आंकड़ा दर्ज किया जाने लगा है तब से आज तक पिछले ११ सालों में जहां वर्ष 2013-14 में 48.04 ईंच बारिश हुई थी। लेकिन तब भी ऐसे हालात नहीं हुए थे, जो हालात इस बार बारिश में नजर आ रहे हैं।
जिले में 15 सितंबर सुबह 8 बजे तक हुई वर्षा पर एक नजर
विकासखंड बारिश ईंच में
नीमच 61.04
मनासा 75.12
जावद 52.2
जिले में अब तक हुई कुल बारिश 62.78
जिले की औसत वार्षिक वर्षा 32.50
एक दिन में मनासा में 9.72 जिले में 4.98 ईंच हुई बारिश
जिले में पिछले 24 घंटे में रिकार्ड तोड़ बारिश हुई है। जिसमें मनासा विकासखंड में सबसे अधिक मात्र एक दिन में 9.72 ईंच बारिश हुई है। वहीं जिले में एक दिन में औसत 4.98 ईंच बारिश हुई है। इतनी अधिक एक दिन में बारिश इस सीजन के में आज तक नहीं हुई।
58 साल पहले देखा था रामपुरा में ऐसा तबाही का मंजर
रामपुरा. तबाही का ऐसा मंजर नगर के बुजुर्गों ने करीब 1961 में 58 साल पहले देखा था, तब वे भी किशोर अवस्था में थे, उन्हें भी यह उम्मीद नहीं थी कि ऐसा दिन दोबारा भी आएगा। क्योंकि सालों पहले हुए गांधी सागर के जलभराव के समय रिंगवाल नहीं बनी थी, लेकिन अब रिंगवाल बनने के बावजूद ऐसी घटना हुई तो हर किसी के यह मंजर देखकर आंखों से आंसू छलक उठे, क्योंकि लोगों को अपनी जान बचाने के लिए सब कुछ छोड़कर घर से बाहर निकलना पड़ा।
ऐसा नजारा हमने 1961 में देखा। जब गांधी सागर डेम की रिंगवाल भी नहीं बनी थी, उस समय भी इन सभी क्षेत्रों में जलभराव हुआ था। इस घटना से काफी नुकसान हुआ है, इसलिए सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्दी पानी को निकालकर हमारी मदद करे और हमें हमारे घर पहुंचाया जाए।
-रूकमा बाई, बुजुर्ग रहवासी, राजपुरा मोहल्ला रामपुरा
जैसे ही पानी की आवक बढऩे लगी, वैसे ही हम घर बार सबकुछ छोड़कर आ गए हैं। मेरी उम्र अब 72 साल है, हमने करीब 58 साल पहले पानी का ऐसा रोद्र रूप देखा था, तब भी लोगों को अपने घरों से निकलकर अन्यत्र पहुंचकर अपनी जान बचानी पड़ी थी। प्रशासन से यही गुहार है कि हमें आर्थिक मदद मिले, ताकि फिर से हमें जीने का मौका मिले।
-नानुराम, बुजुर्ग रहवासी राजपुरा मोहल्ला, रामपुरा